वीडियो मैं दिख रहे लोग हिन्दूओं मैं ‘शाक्त’ सम्प्रदाय के लोग हैं जो आदिकाल से पशु बलि दशहरे और होली पर बकरे कटवाते हैं आए हैं। बक़रीद पर कथित राष्ट्रवादी लोग बक़रीद विरोध और पशु बलि विरोध की पोस्ट धड़ल्ले से अपनी वॉल्स् पर चेप देते हैं अब इसपे क्या वे लोग अपना मुँह खोलेंगे?
बक़रीद पर पशु बलि बैन की डिमांड कर रहे हैं, जबकि इस देश मैं 70% लोग माँस खाते हैं। जिसमें मात्र 17% मुसलमान हैं और बाक़ी खाने वाले हिन्दू ही होंगे। मने विरोध सिर्फ इस बात का है कि मुस्लिम लोग पशुबलि दे रहे हैं?
आज मैं जब नेट पर बैठा तो सोचा चलों इस त्यौहार के बारे में कुछ जाना जाये। अचानक सर्च करते हुए मुझे मिला कि गुवाहाटी में नवरात्रि के शुभ अवसर पर देवी को खुश करने के लिए और अत्यधिक आर्शीवाद लेने के लिए लोग जानवरों की बलि चढाते हैं.
कुछ और सर्च किया तो मिला कि यह सदियों से चला आ रहा है. मुझे तो अभी तक यही पता था कि इस मौक़े पर हिन्दुजन अनाज तक नहीं खाते हैं, यहाँ तक कि प्याज़ लहसुन आदि भी नहीं खाते हैं. तो फिर यह द्विविधा अथवा दो मानक कैसे है.
यह कैसे संभव है कि एक तरह हमारे यूपी में तो वही देवी अनाज, प्याज़ लहसुन तक नहीं खाने से प्रसन्न होती हैं और एक तरफ कोलकाता और गुवाहाटी की तरफ यही देवी मांसाहार और पशुबलि से प्रसन्न होती है?
Comments
comments