पुरे विश्ब में ईद उल-फितर रमजान उल-मुबारक के महीने के बाद खुशी के त्यौहार के रूप में मुसलमान भाई-बहिन मनाते हैं, जिसे ईद उल-फितर कहा जाता है। ईद उल-फितर इस्लामी कैलेंडर के दसवें महीने के पहले दिन मनाया जाता है। इस्लामी कैलेंडर के सभी महीनों की तरह यह भी नए चाँद के दिखने पर शुरू होता है।
मुसलमानों का त्यौहार ईद मूल रूप से सारे विश्व में भाईचारे को बढ़ावा देने वाला त्यौहार है। इस त्यौहार को सभी आपस में मिल के मनाते हैं और खुदा से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं। पूरे विश्व में ईद की खुशी पूरे हर्षोल्लास से मनाई जाती है। ईद रमजान का चांद डूबने और ईद का चांद नजर आने पर उसके अगले दिन चांद की पहली तारीख को मनाई जाती है।
इस्लामी साल में दो ईदों में से यह एक है (दूसरा ईद उल जुहा या बकरीद कहलाता है)। उपवास की समाप्ति की खुशी के अलावा इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि उन्होंने महीने भर के उपवास रखने की शक्ति दी।
इस्लाम धर्म में अच्छा इन्सान बनने के लिए पांच कर्तव्यों को अमल में लाना अति आवश्यक है। पहला ईमान – दूसरा नमाज, तीसरा रोजा, चौथा हज और जकात। इस्लाम के ये पांचों फराईज इन्सान को इन्सान से प्रेम, सहानुभूति, सहायता तथा हमदर्दी की प्रेरणा देते हैं। इस्लाम शब्द अरबी भाषा का है। इस्लाम का अर्थ है, इताअत (दान) करना, शरण लेना, अपने-आपको ईश्वर की मर्जी पर पूरी तरह से छोड़ देना।
ईश्वर एक है। धर्म एक है तथा सारी मानव जाति एक है। हम सभी परमात्मा की आत्मा के पुत्र-पुत्री हैं। इस नाते से सारी मानव जाति हमारा कुटुम्ब है। विश्व के लोग अज्ञानतावश आपस में लड़ रहे हैं। हमें उन्हें एकता की डोर से बाँधकर एक करना है। हमें बच्चों को बाल्यावस्था से ही यह संकल्प कराना चाहिए कि एक दिन दुनियाँ एक करूँगा, धरती स्वर्ग बनाऊँगा। विश्व शान्ति का सपना एक दिन सच करके दिखलाऊँगा।
परमात्मा की ओर से अवतरित पवित्र पुस्तकों का ज्ञान सारी मानव जाति के लिए हैं। यदि बच्चे बाल्यावस्था से ही सारे अवतारों की मुख्य शिक्षाओं मर्यादा, न्याय, सम्यक ज्ञान (समता), करूणा, भाईचारा, त्याग तथा हृदय की एकता को ग्रहण कर लें तो वे टोटल क्वालिटी पर्सन बन जायेंगे। इस नयी सदी में विश्व में एकता तथा शान्ति लाने के लिए टोटल क्वालिटी पर्सन (पूर्णतया गुणात्मक व्यक्ति) की आवश्यकता है।
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