मसला:- कुरआन की आयात को मोबाइल से डिलीट करना या मिटाना किस हद तक सही ?

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अक्सर एक मैसेज काफी लंबे समय से लोगों के पास या हमारे पास एक मैसेज आता है, की मोबाइल से कुरआन की आयात को डिलीट करना या मिटाना एक गुनाह है, और यह निशानी-ए-क़यामत है।

अगर आप क़यामत की निशानी की बात करते है, तो उस पर उलेमाओं ने कहा की कुरआन की हिफाज़त का जिम्मा अल्लाह ने खुद लिया है, और दुनिया से अल्लाह कुरआन को खुद उठा लेंगे।

किसी इंसानी हरकत से अल्लाह ने कुरआन को महफूज़ बनाया, अल्लाह ने कुरआन में तासीर रखी की वह इंसान के दिल दिमाग में उतर जाये, यह कुरआन की सबसे बड़ी हिफाज़त है, जब क़यामत का वक़्त आएगा तो अल्लाह खुद कुरआन दुनिया से उठा लेगा।

अब मसला है आयात को मिटाने का तो उस की उलेमा हजरात ने यह दलील देते हुए साफ़ किया की जिस तरह बच्चों को आप ने बोर्ड या पत्थर पर लिखा बच्चों को पढ़ाया और समझाया जिस के बाद उसे मिटा दिया। और यह काफी हद तक सही है।

इसके बाद असल जो पूरा दारोमदार है वह आप की नीयत पर है, आप उस को किस नियत से हटाते है। उलमा हजरात ने बताया की आप अपने दिल दिमाग से कुरआन को न हटने दें ,कुरआन की आयत को मोबाइल की मेमोरी से हटाना गलत नहीं.

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