अगर मंजूरी मिल गई तो जेल में कैद मुस्लिम रोजों के दौरान ये जरूरी काम कर सकेंगे। इसके लिए पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। हाईकोर्ट में जनहित याचिका के माध्यम से रोजे के दौरान मुस्लिम कैदियों के लिए इफ्तार और सहरी उपलब्ध करवाने को अनिवार्य करने के निर्देश जारी करने की अपील की गई है।
याचिका में कहा गया है कि धर्म का अनुसरण करना प्रत्येक नागरिक का अधिकार है, भले ही वह जेल में हो इस कार्य को करने में कोई बाधा न हो, यह सुनिश्चित करना सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है। एडवोकेट मोहम्मद अरशद की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि एक सच्चे मुसलमान के लिए तौहीद, नमाज, जकात, रोजा और हज इस्लाम धर्म के पांच अनिवार्य अंग का पालन अनिवार्य है।
संविधान धर्म के अनुसरण और उसकी पालना की स्वतंत्रता देता है और जेल में भी इस अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता। बताया गया कि जेल सुधारों पर ऑल इंडिया जेल रिफार्म कमेटी के अंतर्गत जस्टिस मुल्ला कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 1986 में पेश की थी, जिसमें सिफारिश की गई थी कि जेल में मौजूद कैदियों को इफ्तार (सूर्यास्त के बाद शाम का खाना) और सहरी (सुबह का खाना) का भोजन उपलब्ध करवाया जाए।
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