लखनऊ, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने भारत सरकार के महाधिवक्ता मुकुल रोहतगी को तलब किया है। हाई कोर्ट ने रोहतगी से सवाल किया है कि योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य सांसद और सीएम – डिप्टी सीएम एक साथ कैसे राह सकते हैं। अदालत ने यह आदेश समाजसेवी संजय शर्मा की याचिका की सुनावई के दौरान दिया।
दरअसल हाई कोर्ट सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव के खिलाफ आई उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें यह कहा गया है कि सांसद होते हुए भी वो अपने पद पर आसीन है।
बता दें कि सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव, प्रदेश के किसी भी विधानसभा क्षेत्र या विधानपरिषद से विधायक नहीं, बल्कि सांसद हैं। योगी जहां गोरखपुर के सांसद हैं वहीं मौर्य इलाहाबाद की फूलपुर सीट से सांसद हैं।
6 महीने के अन्दर बनना होता है विधायक
गौरतलब है कि किसी भी विधायक दल का नेता चुने जाते समय विधायक होने की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि सीएम, डिप्टी सीएम या मंत्री पद की शपथ लेने के 6 माह के भीतर उन्हें किसी भी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर सदन में आना होता है। यदि राज्य में विधान परिषद का प्रावधान है तो वह रास्ता भी अपनाया जा सकता है।
माना जा रहा है कि राष्ट्रपति चुनाव होने तक योगी और केशव मौर्य सांसद पद से इस्तीफा नहीं देंगे। हालांकि पूर्व रक्षामंत्री और राज्यसभा सांसद रहे मनोहर पर्रिकर ने सीएम पद की शपथ लेने के कुछ दिनों के भीतर ही राज्यसभा के सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था। अगर हाई कोर्ट दोनों सांसदों की सदस्यता रद्द करता है तो बीजेपी को राष्ट्रपति चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है। साभार : दैनिक आज
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