अपने आप को ‘हिन्दू धर्म का रक्षक’ बताने वाला ये मूर्ख अब ‘हिन्दुओं’ से क्या कहेगा ?

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पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी वायरल हुआ था, जिसमें एक युवक 2 लड़कों के साथ मिलकर एक बेजुबान जानवर को बेरहमी से मार रहे थे उस बन्दर को इन हैवानो ने इतना मारा की उसकी जान ही निकल गई या मामला 16 दिसंबर का था। जिसका वीडियो फेसबुक पर काफी वायरल हुआ था जिसके बाद वाइल्डलाइफ़ प्रोटेक्शन ऐक्ट के तहत इन लोगो पर फॉरेस्ट ऑफिसर मोहन भोसले ने एफ़आईआर दर्ज की थी.

उधर, वीडियो वायरल होने का बाद खुद को हिन्दू समझने वाले एक झुण्ड ने इस पूरे मामले को भुनाने की कोशिश की. ये वही झुण्ड है जो सोशल मीडिया पर खूब चल रहा है, जिसमे आप ने देखा होगा देश में कही भी कुछ भी मामला होने पर ये लोग वीडियो बनाकर एक तक़वे के खिलाफ जहर उगलते नज़र आते है हाल ही में आप ने देखा होगा दीपक शर्मा नाम का एक शख्स एक वीडियो में इंडिया गेट के सामने खड़ा मुसलमानों को घटिया तरीके से संबोधित कर रहा था।

यह हिंदुत्व का अघोषित ‘संरक्षक’ और ताज महल से भगाया गया गमछाधारी लफंगा दीपक शर्मा तुरंत हरकत में आया. उसने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी. इस पोस्ट में कानपुर यूनिवर्सिटी का ग्रेजुएशन, एपीजे इंस्टिट्यूट से डिज़ाइनिंग पढ़ने का दावा करने वाला दीपक शर्मा कहता है ‘इसे कहते हैं इस्लाम की नफ़रत. जब हिन्दुओं की आस्था वाले जीव से इतनी नफरत है तो हिन्दुओं से कितनी नफ़रत होगी। कर के पोस्ट की और कहा ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।

अब दो दिन बाद ही यह खबर आई कि महाराष्ट्र के वासिम जिले से 23 साल के “पवन बांगर” और उसके साथ ही उन दोनो नाबालिग लड़कों को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.जिसके बाद दीपक शर्मा अपनी पोस्ट डिलीट कर देता है, वीडियो में बंदर को पीटने वाले यही शख्स था. पवन ने उस बंदर को इसलिए पीट-पीटकर मार डाला क्यूंकि वो उसके खेत में पानी पिने घुस आता था और फसल को नुकसान पहुंचाता था। यह कहना है पवन बांगर का जिसके बाद उसने यह घिटिया हरकत की।

भगवाधारी दीपक शर्मा अब कहां है. इस बेजुबान जानवर को मारने वाला अर्थात हिन्दुओं की आस्था वाले जीव को मारने वाले मुस्लिम नहीं बल्कि हिन्दू ही निकले. अब दीपक शर्मा बताए कि इन लड़कों का ‘ये मज़हब है या नफ़रत का बाज़ार?’ अगर मैं ठीक समझ रहा हूं तो हिन्दू खुद अपनी आस्था वाले जीव को मार रहा है. वजह ये है कि वो बंदर उसके खेतों में घुस आता था. आस्था अब न जाने किधर छूमंतर हो गई. तुरंत ही बदले की भावना और सबक सिखाने की प्रवृत्ति हावी हो गई।

यह सांघी दिपक शर्मा को लगता है की सबा सौ करोड़ वाले हिंदुस्तान में से 20 करोड़ मुसलमान से इस देश को खतरा है, जिसकी ज़िम्मेदारी यह खुद उठाये हुए है, (इस देश में मुस्लिम धर्म को हमेशा ही हिन्दू धर्म का विपक्षी बताया गया है.) मुझे लगता है इस नाकारा के पास सही समय पर एक नौकरी होती तो वक़्त काटने के लिए इसे ये बेवकूफियां न करनी पड़तीं. ये चौराहों पर खड़ा गला न फाड़ रहा होता. अपना मज़ाक न उड़वा रहा होता है।

हमें चाहिए कि इसे समझाया जाए कि इसका किया कराया एक भी काम हिन्दू धर्म के हित में नहीं हो रहा. शम्भूनाथ का साथ देने वाला जब एक इंसान की मौत का जश्न मनाता है और एक बंदर की मौत पर गुस्सा प्रकट करता है तो समझ में आता है कि बंदर ही इंसानी पूर्वज थे और ये अभी कहां अटका हुआ है।

यह सही बात है कि सांघी दीपक शर्मा और इसका झुंड के हर उस शय को मुसलमान मानता है जो इन्हें तकलीफ़ देता है. मसलन दीवार के किनारे में जब इनकी छोटी उंगली लग जाती है तो इसके लिए हिन्दू धर्म को दीवार से खतरा पैदा हो जाता है’ और तुरंत फेसबुक पोस्ट डालने लग जाता है.

इनके बाहर सूखने को डाले कपड़े अगर बारिश में भीगने लगें तो इसका अगला पोस्ट होगा, ‘हिन्दू धर्म को बारिश से खतरा है. जब हिन्दू के कपड़ों से इतनी नफरत तो सोचो हिन्दुओं से कितनी होगी और सच भी है, “जब हिंदुस्तान पर बारिश हो, और सऊदी अरब में नहीं होती. तो कोई तो वजह होगी न मित्रों!

तो में यही कहुगा सभी (हिन्दू- मुस्लिम भाई) एक होकर रहे और हिंदुस्तान को हिंदुस्तान रहने दे !

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