अरब देशों पर इज़राईल ने ड़ाली बुरी नज़र-अब इनको लूटने की कर रहा है तय्यारी

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नई दिल्ली: अमेरिका द्वारा अवैध रूप से घोषित येरुशलम को इज़राईल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा में किरिकिरी हुई है वहां अभी तक किसी भी देश का कोई दूतावास कार्यालय नहीं है हालांकि कुछ अरब देशों के नेताओं और इजरायल के बीच दोस्ती की बातें कानों तक पहुंच रही हैं.

अगर कोई ये समझता हो कि अरब देशों को इज़राईल से कुछ फायदा पहुँच सकता है तो ये सबसे बड़ी भूल होगी,इज़राईल और अमेरिका कभी इस बात को बर्दाश्त नही करेंगे कि कोई अरब देश उनके बराबर विकसित या तरक़्क़ी करे,अतीत में अफगानिस्तान और इराक से अरब देशों को सबक सीखना चाहिये.

अरब देशों के बारे में  इजरायली शासन के इरादों का अंदाजा उस क़ानून के मसौदे से भी चल सकता है जिसे इजरायली शासन के विदेशमंत्रालय के संपत्ति विभाग की तरफ से तैयार किया जा रहा है जिसमें इजरायली सरकार को इस बात पर वजनबद्ध किया जाएगा कि वह उन अरब देशों को हर्जाना देने पर मजबूर करे जहां से यहूदियों ने पलायन किया और इजरायल जाकर बस गये.

इस क़ानून की सहायता से अरब देशों से 400 अरब डॅालर की भारी रक़म एंठने की तैयारी की जा रही है। अमेरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह से अरब देशों को ”दुधारू गाय” बता कर अमरीका का खज़ाना भरा है उससे सब वाकिफ हैं लेकिन अब लगता है कि इजरायल भी इसी तरह की लूट का इरादा बना रहा है.

इजरायल का यह मसौदा दो हिस्सों पर है पहले हिस्से में मिस्र, मोरितानिया, मोरक्को, अल्जीरिया, लीबिया, सूडान, सीरिया, इराक़, लेबनान, जार्डन और बहरैन से मांग की गयी है कि वह 300 अरब डॅालर की लागत की  साढ़े आठ लाख यहूदियों की प्रोपर्टी का हर्जाना दे। और इस मसौदे के दूसरे हिस्से  में सऊदी अरब से 100 अरब डॅालर का हर्जाना लेने का प्रावधान है.

इजरायल यह क़ानून ऐसी दशा में बनाने की कोशिश कर रहा है कि जब कुछ अरब देशों मुख्यता सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात (यूएई) और बहरैन इजरायल से संबंध बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हैरनी की बात है कि कुछ अरब देश, इस्लामी दुनिया के बजाए अमरीका और इजरायल के हितों की हिफाजत में लगे हैं ताकि इन देशों के राष्ट्रध्यक्षों की सत्ता बची रहे.

 

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