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फ़िरौन की बांदी मुसलमान हो गयी। हज़रत मूसा अलैहिस सलाम पर ईमान ले आई। खुद जवान थी और 2 बच्चियों उसके साथ थीं। फिरौन को पता चला। उसे पकड़वाया गया। फिरौन के कहने पर कड़ाव में तेल भरा गया उसके नीचे आग को जलाया गया। तेल को खोलाया गया। फिरौन उससे कहने लगा- बोल मेरा कलमा पढ़ती है या मूसा का। मेरा पढ़ती है तो तेरा घर सोने से भर दूंगा और मूसा का पढ़ती है तो पहले तेरी बच्चियों को तेल में जलाउंगाफिर तुझे जलाउंगा.
औलाद का तखाज़ा यह है जो कहे कर जा, कलमा-ए-कुफ़्र कह दे और ईमान का तखाज़ा यह है जिस रब ने औलाद दी है उसी पर कुर्बान कर दे। वो लड़की कहनी लगी ये तो मेरी 2 हैं अगर मेरी ओर होती तो वो भी मैं अल्लाह पर कुर्बान कर देती , कर जो तुझे करना है। आप सारी माँओं सुनो, अल्लाह ने भी अपनी मौहब्बत को माँ से तस्बीह दी है, बाप से तस्बीह नही दी। 70 माँओं से ज़्यादा अपने बन्दों से मौहब्बत करता हूँ, बाप से नही कहा।
जिस माँ के सामने उसकी मासूम बच्ची को टाँगो से पकड़ा जाये और वो अम्मा अम्मा कहती रो रही हो, चीख रही हो, और उस माँ के सामने खोलते तेल में बच्ची को डाल दिया जाये । आप बताओ उस माँ पर क्या गुज़री होगी। वो बच्ची तेल में ऐसे तल गयी जैसे मछली तली जाती है लेकिन उस खातून के मुंह से उफ़ नही निकली।
अंदर में तो तूफान आये हैं बाहर एक कतरा भी नही बरसा. और उसके सब्र पर अल्लाह ने उसकी आँखों से पर्दा हटा दिया और माँ ने बच्ची की रूह को निकलते देखा । वो कह रही थी अम्मा सब्र करो अभी इकठ्ठा हो जायेंगे । फिर दूसरी बच्ची जो दूध पीती थी उन्होंने उसको उठाया, दूध पीता बच्चा तो दिल के ज़्यादा करीब होता है, उसकी मासूम हरकतें ज़्यादा प्यार लेती हैं.
उसको छीना उसकी गोद् से, टाँगो से पकड़ा , वो माँ को हसरत भरी निगाहों से देखती रही और माँ भी इसे देखती जा रही और उसके सामने उसे भी तेल में डाल दिया गया और वो मछली की तरह तली गयी और माँ कोई पत्थर बन गयी थी। माँ तो माँ ही थी । पर अल्लाह की मौहब्बत औलाद की मौहब्बत पर फातेह बन कर ज़ाहिर हो रही थी.
अल्लाह ताला ने फिर पर्दा उठाया और माँ ने अपनी बच्ची की रूह को निकलते देखा वो भी कह रही अम्मा सब्र करो अभी इकठ्ठे हो जायेंगे । अब माँ की बारी आई, उसको ले चले उसने कहा मेरी एक खवाहिस है ।फिरौन ने कहा क्या है – उसने कहा जब मुझे भी जला दो तो मेरी और मेरी बच्चियों को अलग न करना , इकठ्ठा ही दफन कर देना। फिरौन कहने लगा तेरी यह खवाहिस पूरी कर देंगे । उसे डाला वो भी पल-भर में जलकर राख हो गई।
उनकी हड्डियों को निकाला ज़मीन में दफन किया , इस बात के 2 हज़ार साल गुज़र गए, अल्लाह के हबीब का ज़माना आया, फिर उस पर 40 साल गुज़र गए नबुव्वत मिली फिर 10 साल ओर गुज़र गए फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम 2050 साल बेतुल मकदस से चले आसमानों की तरफ मेराज़ के लिए.
तो आपको ज़मीन से जन्नत की खुशबू उठती मेहसूस हुई, आपने जिब्राइल से फ़रमाया- जिब्राइल यह खुशबू कैसी है । तो जिब्राइल अर्ज़ किया या रसूलल्लाह, फिरौन की बांदी अपनी बेटियों के साथ जहाँ दफन है.
यह खुशबू वहां से आ रही है । अल्लाह पे मरने वालों की कब्रें भी रोशन और मोअत्तर कर दी जाती हैं । इस मंज़र को देखा तो फिरौन की बीवी हज़रत आशिया भी मुसलमान हो गयी इस बात पर के कोई भी अपनी बच्चियों को सिवाए सच्चाई के इस तरह कुर्बान नही कर सकता । फिरौन को उलटी पड़ गयी । आगे का कहानी अगली स्टोरी में.
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