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गुजरात में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा हैं . भाजपा की नयी नवेली सरकार में उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल अपनी उपेक्षा से नाराज़ हैं .विजय रूपाणी के नेत्रत्व में सरकार के शपथ लेने के बाद से तनातनी की खबरें आ रही हैं.
मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, उपमुख्यमंत्री पटेल और भाजपा अध्यक्ष जीतू वघानी विवाद को निपटाने के लिहाज से मुख्यमंत्री आवास पर बृहस्पतिवार को मिले थे. इस कारण पहली कैबिनेट बैठक में नए नवेले मंत्रियों को करीब 4 घंटे तक इंतजार करना पड़ा था. उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल विभागों के वितरण से खुश नहीं हैं. वह गृह और शहरी विकास मंत्रालय चाहते थे.
जो उन्हें नहीं मिला. साथ ही उनको 2 अहम विभाग राजस्व और वित्त विभाग भी नहीं दिए गए. महत्वपूर्ण मंत्रालयों के वितरण के मामले में माना जा रहा है कि सबसे ज्यादा घाटा पटेल को ही हुआ है. पटेल को सड़क एवं भवन, हेल्थ एवं फैमिली, नर्मदा, कल्पसार, चिकित्सा और शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी मिली है.
वडोदरा से विधायक और पूर्व मंत्री राजेंद्र त्रिवेदी ने भी विरोध का झंडा बुलंद कर रखा है. बड़ोदरा से भाजपा के सबसे ज्यादा विधायक जीते हैं. मंत्रीमंडल में किसी को भी स्थान नहीं दिया गया हैं . उन्होंने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के सामने वडोदरा से एक भी विधायक को कैबिनेट में शामिल नहीं किए जाने पर नाराजगी जताई.हैं . उन्होंने 10 विधायकों के साथ पार्टी छोड़ने की धमकी भी दी है.
इस बार का गुजरात विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा. भाजपा सूबे में लगातार चौथी बार सरकार बनाने में कामयाब रही. लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव में मोदी का नहीं बल्कि राहुल गाँधी का मैजिक चला. कांग्रेस का प्रदर्शन भी गुजरात विधानसभा चुनाव में काफी बेहतर रहा. हालाँकि अब भाजपा ने गुजरात में फिर से सरकार बना ली है लेकिन फिलहाल पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है.
मामला कुछ यूँ है कि चाहत के अनुसार मंत्रालय न मिलने से उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल खफा हैं और उन्होंने आर-पार का ऐलान कर दिया है. इतना ही नहीं सूत्रों के मुताबिक उन्होंने बीजेपी हाईकमान को 3 दिन का अल्टीमेटम देकर कहा है कि अगर उनकी बात नहीं मानी गई तो वे इस्तीफा भी दे सकते हैं. सूत्रों का कहना है कि इस नई राजनीतिक रस्साकशी से बीजेपी परेशान है और वह ऐसे विकल्प पर विचार कर रही है कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे, यानी पटेल का सम्मान भी रह जाए और मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की जिद को भी ठेस न पहुंचे.
उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ पाटीदार नेता नितिन पटेल ने विभागों के बंटवारे को लेकर नाराजगी के चलते शुक्रवार को चार्ज नहीं लिया. वे स्वर्णिम संकुल से निकलकर सीधे अहमदाबाद में अपने आवास पर आ गए, जहां उनसे मिलने के लिए हजारों समर्थक मौजूद थे. इनमें पाटीदार विधायक और चुनाव में हारे पाटीदार नेता भी शामिल थे.
पटेल को दूसरी बार उपमुख्यमंत्री बनाया गया है, लेकिन इस बार उनसे वित्त, नगर विकास और नगरीय आवास के अलावा पेट्रो रसायन जैसे अहम विभाग छीन लिए गए. 26 दिसंबर को मुख्यमंत्री विजय रूपाणी सरकार के शपथ ग्रहण के बाद गुरुवार को देर रात मंत्रियों के विभागों का बंटवारा हुआ.
बताया जा रहा है कि इस दौरान नितिन पटेल की नाराजगी को लेकर मंत्रिमंडल की पहली बैठक भी 4 घंटे देरी से शुरू हुई. इसके बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी मुख्यमंत्री रूपाणी के साथ बैठे नितिन पटेल पूरी तरह चुप रहे. यह भी कहा जा रहा है कि नितिन पटेल ने सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है और वह निजी वाहन से आ-जा रहे हैं.
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