जब हज़रत ओवैस नबी पाक सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम की ज़ियारत नहीं कर सके… मज़ेदार क़िस्सा

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हज़रत ओवैस कर्णी रज़ि अल्लाहो अन्हो हुज़ूर नबी पाक सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम की ज़ियारत नहीं कर सके लेकिन दिल में हसरत बहुत थी के हुज़ूर का दीदार कर लूँ बूढी माँ थी और उनकी खिदमत आप को हुज़ूर के दीदार से रोके हुए थी इधर हुज़ूर अकरम भी यमन की तरफ़ रुख कर के कहा करते थे….

मुझे यमन से अपने यार की खुशबु आ रही है एक सहाबी ने कहा हुज़ूर आप उनसे इतना प्यार करते है और वो है के आप से मिलने भी नहीं आते तो आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया के उसकी बूढी और नाबीना माँ है जिसकी ओवैस बहुत खिदमत करता है और अपनी बूढ़ी माँ को तनहा छोड़ कर ओवैस नहीं आ सकता आप सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने हज़रत उमर और हज़रत अली से मुख़ातिब होते हुऐ फ़रमाया के तुम्हारे दौर में एक शख्स आएगा जिसका नाम होगा ओवैस बिन आमिर.

कद होगा दरमियाना रंग होगा काला और जिस्म पर एक सफ़ेद दाग़ होगा वो आए तो उनसे दुआ ज़रूर करवाना क्यों की ओवैस ने माँ की ऐसी खिदमत की है की जब भी वो दुआ के लिए हाथ उठाते है तो अल्लाह उनकी दुआ कभी रद नहीं करते उमर दस साल ख़लीफ़ा रहे और हर साल हज करते हर साल हज़रत ओवैस कर्णी को तलाश करते लेकिन उन्हें ओवैस न मिलते.

एक मरतबा हज़रत उमर ने हज में सारे हाजियों को मैदान ए अराफात में इकट्ठा किया और कहा के तमाम हाजी खड़े हो जाए फिर कहा के सब बैठ जाओ सिर्फ यमन वाले खड़े रहो फिर कहा सब बैठ जाओ सिर्फ क़बीला मुराद वाले खड़े हो जाओ फिर कहा मुराद वाले बैठ जाओ सिर्फ कर्णी वाले खड़े हो जाओ सिर्फ एक आदमी खड़ा रहा तब उमर ने कहा तुम कर्णी ही तो उन्हों ने कहा जी हां क्या तुम हज़रत ओवैस कर्णी को जानते हो ?

तो उस शख्स ने कहा जी जानता हूँ वो तो मेरे सगे भाई का बेटा है आप ने पूछा ओवैस है किधर तो उन्हों ने कहा वो अराफ़ात गाएं है ऊंट चराने आप ने हज़रत अली को साथ लिया और अराफ़ात की तऱफ दौड़ लगाई जब वहां पहुँचे तो देखा कि हज़रत ओवैस कर्णी दरख़्त के नीचे नमाज़ पढ़ रहे है और ऊंट चर रहे है आप दोनों आकर बैठ गए और नमाज़ ख़त्म होने का इंतज़ार करने लगे जब उन्हों ने सलाम फ़ेरा तो हज़रत उमर ने पूछा कौन हो भाई तो हज़रत ओवैस कर्णी ने कहा मैं अल्लाह का बन्दा हूँ.

तो हज़रत उमर ने कहा सारे ही अल्लाह के बन्दे है लेकिन तुम्हारा नाम क्या है तो हज़रत ओवैस कर्णी ने कहा आप कौन है ? हज़रत अली ने कहा ये अमीरुल मोमेनीन उमर बिन ख़त्ताब है और मैं अली बिन अबु तालिब हज़रत ओवैस का ये सुनना था कि वो थर थर कांपने लगे और कहा जी मैं मुआफ़ी चाहता हूँ मैं ने आप को पहचाना नहीं मैं तो पहली दफ़ा हज पर आया हूँ हज़रत उमर ने कहा तुम ओवैस हो तो उन्हों ने कहा जी मैं ही ओवैस हूँ.

हज़रत उमर ने कहा हाथ उठाओ और हमारे लिए दुआ करो ये सुन वो रोने लगे और मैं दुआ करू आप लोग सरदार है और मैं नौकर हूँ और मैं आप लोगो के लिए दुआ करूँ तो हज़रत उमर ने कहा हाँ अल्लाह के नबी का हुक्म था कि ओवैस जब भी आएं उनसे दुआ ज़रूर करवाना फिर हज़रत ओवैस कर्णी ने दोनों के लिए दुआ की आप ने फ़रमाया के जब लोग जन्न्त में जा रहें होंगे तो हज़रत ओवैस कर्णी भी चले गें तो इस वक़्त अल्लाह ताला फरमाएं गें के बाकियों को जाने दो और ओवैस को रोक लो इस वक़्त हज़रत ओवैस कर्णी परेशान हो जाएंगें.

के ऐ खुदा आप ने मुझे दरवाज़े पर क्यों रोक लिया तो अल्लाह ताला फरमाएं गें पीछे देखो जब पीछे देखें गें तो पीछे करोड़ो अरबो के तादाद में जहन्नमी खड़े होंगे तो उस वक़्त खुदा फ़रमाए गा के ओवैस तेरी एक नेकी ने मुझे बहुत खुश किया “माँ की खिदमत “एक ऊँगली का इशारा कर जिधर जिधर तेरी ऊँगली फ़िरती जाए गी मैं तेरे तुफ़ैल उनको जन्न्त में दाख़िल करता जाऊँगा…

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