जब हुज़ूर नबी ए करीम ﷺ ने सवाल करने वाले को कमा कर खाने की अनोखी रहनुमाई फ़रमायी

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हुज़ूर नबी ए करीम ﷺ ने सुवाल करने वाले (या’नी भीक मांगने वाले) को कमा कर खाने की अनोखी रहनुमाई फ़रमायी चुनान्चे हकीमुल उम्मत हज़रत मुफ़्ती अहमद यार खाँ (रहमतुल्लाह अलैह) अपनी किताब इस्लामी ज़िंदगी में यह हदीसे पाक नक़्ल करते हैं.

एक बार हुज़ूर ﷺ की ख़िदमत में किसी अंसारी ने सुवाल किया।
फ़रमाया: क्या तेरे घर कुछ है?
अर्ज़ किया: सिर्फ़ एक कम्बल है जिसको आधा बिछाता हूँ आधा ओढ़ता हूँ और एक प्याला है जिससे पानी पीता हूँ।
फ़रमाया: वो दोनों ले आओ

हुज़ूर ﷺ ने मजमे से ख़िताब करके फ़रमाया : इसे कौन ख़रीदता है? एक ने अर्ज़ किया कि मैं 1 दिरहम से लेता हूँ , फ़िर दो तीन बार फ़रमाया कि दिरहम से ज़्यादा कौन देता है ?
दूसरे ने अर्ज़ किया: मैं 2 दिरहम में ख़रीदता हूँ ,

हुज़ूर ﷺ ने वोह दोनों चीज़े उन्ही को अता फ़रमा दीं और यह 2 दिरहम उस साइल को देकर फ़रमाया कि एक का ग़ल्ला ख़रीद कर घर में डालो दूसरे दिरहम की कुल्हाड़ी ख़रीद कर मेरे पास लाओ .

फ़िर उस कुल्हाड़ी में अपने मुबारक हाथ से दस्ता डाला और फ़रमाया: जाओ लकड़ियां काटो और बेचो और 15 रोज़ तक मेरे पास न आना वो अन्सारी 15 रोज़ तक लकड़ियां काटते और बेचते रहे 15 रोज़ के बाद जब बारगाहे नबवी मे हाज़िर हुएे तो उनके पास खाने पीने के बाद 10 दिरहम बचे थे उसमें से कुछ का कपड़ा ख़रीदा कुछ का ग़ल्ला।

हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया, यह मेहनत तुम्हारे लिए मांगने से बेहतर है।
(इब्ने माजाह जिल्द 3 हदीस 2198 सफ़ा 36)

ग़ौर फ़रमाइए सरकार ﷺ ने तो जिसके पास सिर्फ़ 2 चीज़ें ( कम्बल और प्याला) था उसे भी भीक मांगने के बजाए कमा कर खाने की तरग़ीब दिलायी जबकि हमने भीक दे दे कर इनकी तादाद बढ़ा दी है जिसकी वजह से भिकारियों की सबसे ज़्यादा तादाद मुसलमानों में है ये लोग बाज़ारों, गलियों- मुहल्लों और आम जगहों पर मुसलमानी हुलिये में भीक मांग कर हमारे प्यारे मज़हब दीने इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं इनका सबसे ज़्यादा शिकार हमारी भोली भाली माँ – बहने होती हैं लिहाज़ा बेदारी लाइये,

अपने दोस्तो अहबाब ख़ास कर अपने घरों की ख़्वातीन को समझाइये इन्हे भीक देकर मुसलमानो में भिकारियों की तादाद बढ़ाने का ज़रिया न बनिए बराये करम इस पैग़ाम को आम कीजिए और बेदारी लाइए… भीक मत मांगो ! भीक मत दो !

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