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जिस ज़मीन पर हम रहते हैं वह एक आम आदमी के मुक़ाबले
*20 अरब खरब (2000000000000000000000000)*
गुना बड़ी है.
जबकि हमारा सूरज हमारी ज़मीन से भी
*10 लाख (1000000)* गुना बड़ा है
इसके मुक़ाबले में *ईटाकैरीनाई (Etacarinae)* नाम का मशहूर सितारा हमारे सूरज से भी
*50 लाख (5000000)* गुना बड़ा है.
इसके बाद *बीटल जूस (Betel Geuse)* नाम के सितारे का नंबर आता है जो हमारे सूरज से
*30 करोड़ (300000000)* गुना बड़ा है.
और फिर *वी.वाई.कैनिसमैजोरिस (V.Y. Canismajoris* नाम के सितारे का नंबर आता है जो कि हमारे सूरज से
*1 अरब (1000000000)* गुना बड़ा है और इन जैसे अरबों सितारे हमारी कहकशां (Galaxy) में मौजूद हैं.
क्या आप जानते हैं ?
जिस *कहकशां (Galaxy)* में हम रहते हैं उसका नाम *मिल्की वे (Milky Way)* है और इसमें हमारे सूरज जैसे *300 अरब* से ज़्यादा सूरज मौजूद हैं और यह कहकशां इतनी बड़ी है कि अगर हम किसी ऐसी चीज़ पर सवार हों जो *1 सेकण्ड में 3 लाख किमी0* का फ़ासला तय करती हो *(यानी 1 सेकण्ड में दुनिया के 7 चक्कर लगाने वाली गाड़ी हो) तो इसको भी हमारी कहकशां को पार करते-करते *1 लाख* साल लग जायेंगे.
अब हम अपनी पड़ोसी कहकशां में चलते हैं जिसका नाम *एंड्रोमेडा (Andromeda)* है, और यह कहकशां हमारी कहकशां से *दोगुनी* है
लेकिन यह भी छोटी ही समझिये क्योंकि *एम 81 (M 81)* नामी कहकशां हमारी कहकशां से *60 गुना* बड़ी है. और *आई.सी.-1011 (IC-1011)* नाम की कहकशां हमारी कहकशां से *600 गुना* बड़ी है.
अब अल्लाहु अकबर का मतलब समझ आ रहा है ना लेकिन अभी यह सिलसिला ख़त्म नहीं हुआ…
क्या आपको मालूम है
जिस तरह सितारों से कहकशाएं बनती हैं उसी तरह कहकशाओं से *कलस्टर (Cluster)* बनते हैं और जिस कलस्टर में हमारी कहकशां है उसका नाम विरगो ( Virgo)* है और सिर्फ इस एक कलस्टर में *47000* कहकशाएं हैं. और मामला भी अभी यही ख़त्म नहीं हुआ,
कलस्टर भी आपस में मिलके .
सुपर कलस्टर (Super Cluster)* बनाते हैं और जिस सुपर कलस्टर में हम रहते हैं उसका नाम *लोकल सुपर कलस्टर (Local Super Cluster)* है. और इस सुपर क्लस्टर में लगभग *100* क्लस्टर हैं और इस सुपर क्लस्टर जैसे लगभग *1 करोड़ (10000000)* सुपर क्लस्टर हमारी क़ायनात में मौजूद हैं जो कि एक अज़ीम जाल में मामूली नुक़्तों की मानिंद नज़र आते हैं.
*और इस सबको सिर्फ़ एक ज़ात यानी अल्लाह अज़्ज़व्जल ने बनाया है*
अब अंदाज़ा हुआ कि अल्लाह कितना बड़ा है
यही वह किब्रियायी है जिसको क़ुरान सूरह ज़ुमर, आयत नंबर 67 में कुछ यूँ बयान करता है: और उन्होंने अल्लाह की क़द्र ही ना की जैसी उसकी क़द्र करने का हक़ था (उसकी बड़ाई का यह हाल है कि) क़यामत के दिन ज़मीन उसकी मुट्ठी में होगी और तमाम आसमान उसके सीधे हाथ में लिपटे होंगे.
*नोट:* ऊपर जो मैंने क़ायनात की चीज़ें बयान की हैं वह सब की सब इस पहले आसमान पर ही है और अल्लाह क़ुरान में सारे आसमानों का ज़िक्र कर रहा है, जितना हम सोच भी नहीं सकते अल्लाह उतना बड़ा है.
यही अल्लाहु अकबर का सही मतलब और यही वह अज़ीम जुमला है जिसको सुनने और समझ लेने के बाद सिवाए इन्तेहाई मुतकब्बिर के हर एक शख़्स का सर सजदे में चला जाता है.
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