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हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि आखिर ज़माने में आदमी को अपना दीन संभालना ऐसा दुश्वार होगा जैसे हाथ में अंगारा लेना दुश्वार होता है| कंज़ुल उम्माल,जिल्द 11,सफह 142
दीन पर अमल करना हाथ में अंगारा लेना है
आज का माहौल सामने है मसलके आला हज़रत यानि अहले सुन्नत व जमाअत यानि दीने इस्लाम की तालीम देखिये और मुसलमानो का अमल देखिये,नमाज़ी को देखना हो तो मस्जिद चले जाईये रोज़ेदार को देखना हो रमज़ान में देख लीजिये हज और ज़कात की तो बात ही ना करिये|
औरतों का लिबास देखिये मर्दों का किरदार देखिये जवान तो जवान वो बूढ़ा जो ठीक से बोल भी नहीं पाता उसकी दाढ़ी मुंडाने की फिक्र देखिये चाय की होटलों पर बैठे हुए आवारा अय्याश लोगों का आलिमों और मुफ्तियों पर तंज़ देखिये फिर अमल से आगे बढ़िये और मुसलमानो की दीन के नाम पर गुमराहियां देखिये
इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की याद मनाने वालो का नाजायज़ तरीका देखिये टीवी पर नातो मन्क़बत सुनने वालों और मस्जिदों में भी टीवी चलाने वालों को देखिये कव्वाली के नाम पर म्यूज़िक का हराम इस्तेमाल देखिये पीरी मुरीदी के नाम पर फासिक सूफियों का ढकोसला देखिये और आगे बढिये|
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और नाम के मुसलमानों का इस्लाम के ऊपर कीचड़ उछालना देखिये कोई होली खेल रहा है तो कोई दिवाली मना रहा है तो कोई गैर मुस्लिमों के त्योहारों की बधाईयां दे रहा है तो कोई इस्लाम के खिलाफ फैसला आने पर मिठाईयां बांट रहा है माज़ अल्लाह माज़ अल्लाह सुम्मा माज़ अल्लाहे रब्बिल आलमीन,
आज इस्लामी मुआशरे की हालत ये हो गयी है कि अगर कोई बन्दा सही इस्लामी तरीके से ज़िन्दगी गुज़ारता है तो लोग उसको पागल समझते हैं ना कोई उसकी बात सुनता है और ना सुनना चाहता है और अगर कोई सुन भी लेता है तो उसकी बात मानने को लेकर बात वहीं पर आकर रुक जाती है जहां से शुरू हुई थी कि दीन पर अमल करना हाथ में अंगारा लेना है|
और आज कोई भी ये अंगारा अपने हाथों में लेने के लिए तैयार नहीं है,खुदा के एहकाम को हम तोड़ें उसकी नाफरमानी हम करें उसके दीन को पामाल हम करें फिर जब हम पर क़हरे खुदावंदी का नुज़ूल होता है और होना भी चाहिये क्योंकि इसके ज़िम्मेदार सिर्फ और सिर्फ और सिर्फ हम हैं अगर अल्लाह ने आंख दी है तो उसे खोलकर पढ़िये कि क़ुर्आन मुक़द्दस में मौला तआला क्या इरशाद फरमाता है|
*और तुम्हें जो मुसीबत पहुंचती है वो उसका बदला है जो तुम्हारे हाथों ने कमाया और बहुत कुछ तो अल्लाह माफ कर देता है* ? पारा 25,सूरह शूरा,आयत 30
ये हिंदुस्तान में मुसलमान क्यों मर रहे हैं बर्मा में मुसलमान क्यों मर रहे हैं फिलिस्तीन चेचिनिया ईराक़ अफगानिस्तान पूरी दुनिया में मुसलमान क्यों मर रहे हैं तो जवाब ये है कि इसलिये मर रहे हैं क्योंकि वो मरने वाला काम ही कर रहे हैं उन्हें ज़िंदा रहने का कोई हक़ ही नहीं है,जब कोई दुनिया की हुकूमत के खिलाफ जाता है तो उसको गद्दार कहकर मौत के घाट उतार दिया जाता है|
तो जो कोई खुदाये क़हहार के एहकाम की खिलाफ वर्ज़ी करेगा तो उसकी सज़ा भी मौत ही है,और मौत तो बहुत छोटी सी सज़ा है आगे पढ़िये कि नबी क्या फरमाते हैं|
*हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि आखिर ज़माने में आदमी सुबह को मोमिन होगा और शाम होते होते काफिर हो जायेगा* ? तिर्मिज़ी,जिल्द 2,सफह 52….. इस पोस्ट को अपने दीनी भाइयों तक ज़रूर शेयर कीजियेगा दोस्त ! आपका बहुत बहुत शुक्रिया
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