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आपने देखा होगा कुछ लोग सरे दिन ज़रा ज़रा सी बात में जहाँ ज़रुरत भी न होती वहां दुनियाभर की कसमें खाने लग जाते हैं. ऐसे लोगों के लिए इस्लाम में नबी ए करीम क्या फरमाते हैं यहाँ देखें. और अगर आपमें भी ये आदत हो तो बराए मेहरबानी इस आदत को आज से ही बदल डालें.
हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रदी अल्लाहु अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया अल्लाह सुबहानहु के सिवा किसी की भी कसम खाना शिर्क है. अल सिलसिला अस सहिहा,1073
अब्दुल्लाह बिन उमर रदी अल्लाहु अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया की अगर किसी को कसम खानी हो तो अल्लाह की ही कसम खाए वरना खामोश रहे.
अब्दुल्लाह बिन मसूद रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहु अलैही वसल्लम ने तीन (3) बार फ़रमाया बद्शगूनी शिर्क है और हम में से हर एक को वहम हो जाता है लेकिन अल्लाह सुबहानहु उसको तव्क़्क़ल (सिर्फ अल्लाह पर यकीन ) से दूर फरमा देता है.
इब्न अब्बास रदी अल्लाहु अन्हुमा से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया मेरी उम्मत के 70,000 लोग बिना हिसाब के जन्नत में जाएँगे ये वो लोग होंगे जो झाड़-फूँक नही करते हैं.
और ना शगुन लेते हैं ( यानी अच्छे बुरे शगुन में यकीन नही करते) और अपने रब पर ही भरोसा करते हैं. सही बुखारी, जिल्द 7, 6472
नोट: बद्शगुनी यानी कोई किसी बुरी बात पर यकीन करके उस काम से रुक जाए जैसे काली बिल्ली के रास्ता काट जाने से कुछ बुरा होगा अगर कोई ऐसा सोचता है तो वो शिर्क है क्यूंकी उसको अल्लाह और उसकी तकदीर पर यकीन नही.
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