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शनिवार को देश के प्रमुख इस्लामिक शिक्षण संस्था दारूल उलूम देवबंद ने एक फतवे में कहा कि इस्लाम में महिलाओ को कोई हक़ नहीं दिया गया है कि वे घर से बहार निकलकर धर्म का प्रचार करे दिल्ली के हाफिज उबैद उर रहीम ने दारूल उलूम के फतवा विभाग से सवाल पूछा था कि क्या मुस्लिम औरतें धर्म प्रचार कर सकती हैं|
देवबंद ने कहा औरतों को इजाजत नहीं है धर्म प्रचार करने की इस्लाम के जानकार एवं लेखक बदर काजमी का इस फतवे पर कहना था कि इस्लाम में पुरुष और औरतों को बराबर का दर्जा है
दारूल उलूम के मुफ्तियों ने जवाब दिया कि इस्लाम में औरतों को धर्म प्रचार की इजाजत नहीं दी गई है मुफ्तियों का साफ कहना था कि इस्लाम औरतों को धर्म प्रचार की इजाजत नहीं देता उधर, इस्लाम के जानकार एवं लेखक बदर काजमी का इस फतवे पर कहना था कि इस्लाम में पुरुष और औरतों को बराबर का दर्जा है|
उन्होंने कहा कि दोनों को शिक्षा हासिल करने और शिक्षा देने का बराबर का अधिकार है, इसलिए यह कहना कि मुस्लिम महिलाएं घरों से नहीं निकल सकतीं और धर्म प्रचार नहीं कर सकती ये बिलकुल भी सही नहीं है और कहा कि दारूल उलूम के नाम पर देश में मुस्लिम लड़कियों और औरतों को इस्लामिक शिक्षा देने के लिए अनेक संस्थाएं खुली हैं|
जहां वे कुरान हदीस और इस्लाम संबंधी शिक्षा प्राप्त करती हैं वहां से निकलकर वे उसका प्रचार प्रसार करती हैं ऐसे फतवे देते समय मुफ्तियों को इस बात पर भी गम्भीरता से गौर करना चाहिए काजमी कहते हैं कि दारूल उलूम के उलेमा न जाने किस जमाने की बातें करते हैं|
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