इस्लाम में औरतों को इन महिलाओं से भी पर्दा करने का हुक्म है, ज़रूर पढ़े और शेयर करें

शेयर करें
  • 5.7K
    Shares

​पर्दा और बदनज़री​: आज जहां मुआशरे में हज़ारहा बुराइयां फैली हुई है उनमें एक बहुत बड़ी बुराई ये भी है की मर्द का एक ना महरम औरत को देखना और एक औरत का ना महरम मर्द के लिए सजना सवरना और बे पर्दगी से घूमना, लोग इसे फैशन और मॉडर्न समाज का हिस्सा मानते हैं|

मगर अल्लाह के यहां ये कुसूर छोटा नहीं बल्कि बहुत बड़ा है,मौला तआला क़ुर्आन में इरशाद फरमाता है कि ​मुसलमान मर्दों को हुक्म दो कि अपनी निगाहें कुछ नीची रखें और अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करें ये उनके लिए बहुत सुथरा है.

बेशक अल्लाह को उनके कामों की खबर है और मुसलमान औरतों को हुक्म दो कि अपनी निगाहें कुछ नीची रखें और अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करें और अपने दुपट्टे अपने गिरेहबानों पर डाले रहें और अपना श्रंगार ज़ाहिर ना करें|

मगर अपने शौहरों पर या अपने बाप पर या शौहरों के बाप या अपने बेटे या शौहरों के बेटे या अपने भाई या अपने भतीजे या अपने भांजे या दीन की औरतें या अपनी कनीज़ें जो अपने हाथ की मिल्क हो या वो नौकर जो शहवत वाले ना हों या वो बच्चे जिन्हें औरतों के शर्म की चीज़ों की खबर नहीं,और औरतें ज़मीन पर ज़ोर से पांव ना रखें कि उनका छिपा हुआ श्रंगार जान लिया जाए​| पारा 18,सूरह नूर,आयत 30-31

इस एक आयत में मौला ने पर्दे का पूरा बयान नाज़िल फरमा दिया कि किससे पर्दा करना है और किससे नहीं और ये भी कि पर्दा सिर्फ औरत ही नहीं करेगी बल्कि मर्द का भी किसी ना महरम को देखना जायज़ नहीं है अब वो औरतें जो बेहिजाब सड़कों बाज़ारों मेलों-ठेलों मज़ारों या कहीं भी घूमती फिरती हैं वो अशद गुनाहगार हैं|

उन पर तौबा वाजिब है और माज़ अल्लाह अगर इंकार करे जब तो काफिर है कि क़ुर्आन का इनकार हुआ,दूसरी जगह मौला इरशाद फरमाता है कि ​ऐ महबूब अपनी बीवियों और अपनी साहबज़ादिओं और मुसलमान औरतों से फरमा दो कि वो अपनी चादरों का एक टुकड़ा अपने मुंह पर डाले रहें, ये उनके लिए बेहतर है कि ना वो पहचानी जायें और ना सताई जायें और अल्लाह बख्शने वाला मेहरबान है​| पारा 22,सूरह अहज़ाब,आयत 59

इसका शाने नुज़ूल ये है कि कुछ मुनाफिक़ मुसलमान औरतों को रास्ते में छेड़ा करते थे जिस पर ये आयत उतरी कि मौला ने साफ फरमा दिया कि अपनी पहचान छिपाकर चलेंगी तो ना पहचान होगी और ना कोई उन्हें छेड़ेगा,फिर इरशाद फरमाता है कि ​और अपने घरों में ठहरी रहो और बे पर्दा ना रहो जैसे अगली जाहिलियत की बे पर्दगी​| पारा 22,सूरह अहज़ाब, आयत 33

अगर अगली जाहिलियत की बे पर्दगी समझ में नहीं आ रही है तो जाकर किसी मैरिज हाल किसी सिनेमा हाल किसी पार्क या सड़कों पर देख आईये कि अगली जाहिलियत की औरतें कैसी हुआ करती थीं, ये तो हुआ क़ुर्आन का बयान अब थोड़ा हदीस की भी सैर कर ली जाये, हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि ​अजनबी औरत को शहवत से देखने वालों की आंख क़यामत के दिन आग से भर दी जायेगी​| हिदाया,जिल्द 4,सफह 424

​जो गैर औरत और मर्द एक दूसरे को देखें तो दोनों पर अल्लाह की लानत है​| मिश्कात,सफह 270

​मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम बाज़ दफा गैर औरत पर अचानक नज़र अड़ जाती है तो आप इरशाद फरमाते हैं कि अपनी नज़रें फेर लिया करो कि इस पहली नज़र पर गिरफ्त नहीं लेकिन दूसरी नज़र पर है​| अबु दाऊद,जिल्द 2,सफह 146

माज़ अल्लाह पहली नज़र का मतलब कोई ये ना समझे कि अब एक ही नज़र में जी भर के देख लेंगे बल्कि अगर चेहरे पर ज़रा भी नज़र ठहरी तो भी कुसूरवार ठहरेगा ​गैर महरम को देखना आंखों का ज़िना है उसकी तरफ जाना पैरों का ज़िना है|

कानो से उसकी बात सुनना कानों का ज़िना है ज़बान से उससे बात करना ज़बान का ज़िना है हाथों से उसको छूना हाथों का ज़िना है और दिल में उससे नाजायज़ मिलाप की बात सोचना ये दिल का ज़िना है​| अबु दाऊद,जिल्द 2,सफह 147

​जो औरत खुशबु लगाकर बाहर निकली तो जिसको इसकी खुशबु मिली तो ऐसा है कि जैसे उसने ज़िना कराया​ निसाई,जिल्द 2,सफह 240  ? तिर्मिज़ी,जिल्द 2,सफह 102

​औरत छिपाने की चीज़ है जब वो बाहर निकलती है तो शैतान उसे झांक कर देखता है​- तिर्मिज़ी,जिल्द 1,सफह 140

​हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि गैर औरत के पास जाने से बचो एक सहाबी ने अर्ज़ की कि देवर के पास जाने में क्या हुक्म है आपने परमाया कि देवर तो मौत है​| तिर्मिज़ी,जिल्द 1,सफह 140

देवर तो मौत है इसका मतलब ये है कि एक अनजान औरत के पास जाने या उससे मिलने में हज़ार तरह की रुकावटें होती है मगर एक ही घर में रहने वाले देवर और भाभी के दरमियान कौनसी रुकावट, चुंकि माज़ अल्लाह ज़माना इतना खराब हो गया है हर तरफ बेहयाई का दौर है|

और इब्लीस लईन वो वो इंसान के जिस्म में खून की तरह बहता है और मौका ढूंढ़ता रहता है कि कब वो इंसान को अपने जाल में फांस ले इसलिए एहतियात में ही भलाई है, लिहाज़ा भाभी का देवर से बहनोई का अपनी साली से चचाज़ाद मामूज़ाद खालाज़ाद फूफीज़ाद भाईयों का उनकी चचेरी ममेरी खलेरी फुफेरी बहनों से बल्कि ससुर अगर जवान है तो बहू को पर्दे का हुक्म है|

और अगर सास जवान है तो दामाद से पर्दा है,यही दीन है यही शरीयत है इससे अगर खिलवाड़ करेंगे तो माज़ अल्लाह आपकी दुनिया और आखिरत दोनों खिलवाड़ बनकर रह जायेगी |

Comments

comments