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अनस बिन मलिक रदी अल्लाहु अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जन्नत में एक ऐसा बाज़ार है जिसमें जन्नति लोग हर ज़ूमा के दिन आया करेंगे फिर शुमाली हवा (उत्तर की तरफ से हवा ) चलेगी.
वहाँ के गर्द और गुबार (जो मुश्क और ज़ाफ़रान है) उनके चेहरों और कपड़ों पर डाल देगी जिस से जन्नतियो का हुस्न और जमाल और ज़ियादा हो जाएगा फिर जब वो अपने घरवालों की तरफ लौटेंगे इस हाल में की उनके हुस्न और जमाल में इज़ाफा हो चुका होगा तो वो (उनके घरवाले)
कहेंगे की अल्लाह की क़सम हमारे बाद तो तुम्हारे हुस्न और जमाल में और इज़ाफा हो गया है, तो वो कहेंगे की अल्लाह की क़सम हमारे बाद तुम्हारे हुस्न और जमाल में भी इज़ाफा हो गया है. सही मुस्लिम , जिल्द 6, 7146
अपने आपको सेहतमंद और तंदुरुस्त रखने की दुआ
✦ अब्दुल रहमान बिन अबू बक्र रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की उन्होने अपने वालिद से पूछा की अब्बू जान मैं आपको हर सुबह और शाम को तीन मर्तबा ये दुआ पढ़ते हुए सुनता हूँ
*اللَّهُمَّ عَافِنِي فِي بَدَنِي اللَّهُمَّ عَافِنِي فِي سَمْعِي اللَّهُمَّ عَافِنِي فِي بَصَرِي لاَ إِلَهَ إِلاَّ أَنْتَ*
✦ अल्लाहुम्मा आफिनी फ़ि बदानी, अल्लाहुम्मा आफिनी फ़ि समई, अल्लाहुम्मा आफिनी फ़ि बशारी, ला ईलाहा इल्ला अन्ता
✦ या अल्लाह तू मेरे बदन में आफियत अता फरमा , या अल्लाह तू मेरे कानों में आफियत अता फरमा,
या अल्लाह तू मेरी निगाहों में आफियत अता फरमा, तेरे सिवा कोई माबूद नही तो उन्होने कहा की मैने रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम को यही दुआ पढ़ते हुए सुना है और मुझे पसंद है की मैं उनकी सुन्नत पर अमल करता रहूँ. सुनन अबू दाऊद, जिल्द 3, 1649-हसन
عبد الرحمن بن ابو بکرہ رضی الله عنه سے روایت ہے کی انہونے اپنے والد سے دریافت کیا کی
ابو جان! میں آپ کو ہر صبح یہ دعا پڑھتے ہوئے سنتا ہوں
*اللَّهُمَّ عَافِنِي فِي بَدَنِي اللَّهُمَّ عَافِنِي فِي سَمْعِي اللَّهُمَّ عَافِنِي فِي بَصَرِي لاَ إِلَهَ إِلاَّ أَنْتَ*
اے اللہ! تو میرے بدن میں عافیت عطا فرما ، یا اللہ تو میرے کانوں میں عافیت عطا فرما، اے اللہ تو میری نگاہوں میں عافیت عطا فرما، تیرے سوا کوئی معبود نہیں آپ اسے تین مرتبہ دہراتے ہیں جب صبح کرتے ہیں اور تین مرتبہ جب شام کرتے ہیں؟، تو انہوں نے کہا: میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو یہی دعا کرتے ہوئے سنا ہے، اور مجھے پسند ہے کہ میں آپ کی سنّت پر عمل کرتا رہوں ۔
سنن ابو داوود جلد ٣ / ١٦٤٩ -حس
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