-
8.4KShares
बरा बिन आज़िब रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की हम रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम के साथ अंसार के 1 शख्स के जनाज़े में निकले, हम क़बर के पास पहुंचे , वो अभी तक तय्यार नही थी.
तो रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम बैठ गये और हम भी आप के इर्द गिर्द इस तरह बैठ गये जैसे हमारे सरों पर चिड़ियाँ बैठी हैं. (यानी गौर से सुनने लग गए), आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम के हाथ में एक लकड़ी थी, जिस से आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ज़मीन कुरेद रहे थे.
फिर आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने अपना सर मुबारक उठाया और फरमाया क़ब्र के अज़ाब से अल्लाह सुबहानहु की पनाह तलब किया करो , ये दो बार या तीन बार फरमाया.
हन्नाद रदी अल्लाहू अन्हु की रिवायत के अल्फ़ाज़ हैं, आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया : (जब मुर्दे को दफ़न कर दिया जाता है) फिर इस के पास दो फरिश्ते आते हैं, उसको बिठाते हैं और इस से पूछते हैं.
1. तुम्हारा रब ( माबूद ) कौन है? तो वो कहता है, मेरा रब ( माबूद ) अल्लाह है, फिर वो दोनो इस से पूछते हैं.
2. तुम्हारा दीन क्या है ? वो कहता है : मेरा दीन इस्लाम है, फिर पूछते हैं :
3. वो साहब कौन हैं जो तुम्हारी तरफ भेजे गए थे ? वो कहता है वो अल्लाह के रसूल सलअल्लाहू अलैही वसल्लम हैं,
फिर वो दोनों इस से कहते हैं :
4. तुम्हे यह कहाँ से मालूम हुआ ? वो कहता है मैंने अल्लाह की किताब पढ़ी और इस पर ईमान लाया और इस को सच समझा
सुनन अबू दाऊद, जिल्द 3, 1325-सही
Comments
comments