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वेसे तो इस वेब को बनाने का मकसद नबी ए करीम स.अ.व.स. की जिन्दगी से हिन्दी भाषियो को रुबरु कराना है जो कि हदीसों की सुरत मे हमारे पास महफूज है और कुछ इन्टरनेट या अन्य जगह से इकठ्ठा की गयीं हैं| हम देखते है की अल्लाह रब’अल आलमीन ने हमे कुर’आन मे हर तरह की तंगी से बचाया है|
हर काम मे हमे मोहलत अता की है ! बस हम गुनाह की तरफ माईल ना हो, लेकिन नमाज के सख्ती से पालन करने का आदेश दिया है !! जेसे अल्लाह ने मुरदार गोस्त खाने से मना फरमाया लेकिन इतनी छूट भी अता की के अगर भूख से विवश हो ओर गुनाह की तरफ ना बढे तो खा सकता है |
एसे कयी वाकयात कुर’आन मे मोजूद है ! ओर ये की अल्लाह तुम पर तंगी नही करना चाहता बल्के आसानी करता है ! लेकिन नमाज के लिए कोई छूट कोइ मोहलत नही दी बल्की नमाज को कामयाबी ओर भलाई बताया ओर जाहिर बात है जो अमल हमारे फायदे का होगा उसमे हमारा खैरख्वाह ही हमे मोहलत नही देगा ! वरना शैतान तो हमे नमाज से दुर करने की हर संभव कोशीश करता ही है|
अब देखते है कुर’आन मे नमाज के बारे मे अल्लाह सुब्हाना व त’आला का क्या आदेश है !!
•सुरह बकरा आयत न.3
:- जो विश्वास करते हैं बिन देखे और नमाज़ स्थापित करते हैं। और जो कुछ हमने उनको दिया है, वह उसमें से ख़र्च करते है ।
•सुरह रुम, आयत 31
उसी की ओर एकाग्र होकर और उसी से डरो और नमाज़ स्थापित करो और मुशरिकों जसे न बनो।
•सुरह र’अद आयत 28
वह लोग जो ईमान लाये और जिनके दिल अल्लाह की याद से सन्तुष्ट होते हैं। सुनो, अल्लाह की याद ही से दिलों को सन्तुष्टि प्राप्त होती है।
•सुरह अन्कबूत आयत 45
तुम इस किताब को पढ़ो जो तुम पर उतारी गई है। और नमाज़ स्थापित करो। निस्सन्देह नमाज़ निल्र्लजता से और बुरे कर्मो से रोकती है। और अल्लाह की याद बहुत बड़ी चीज़ है। और अल्लाह जानता है जो कुछ तुम करते हो।
• सुरह मद्दसिर आयत 43,44
तुमको कोनसी चीज़ नरक में ले गयी।वह कहेंगे हम नमाज़ पढ़ने वालों में से न थे।
•सुरह माऊन आयत 4,5
तो विनाश है उन नमाज़ पढ़ने वालों के लिए।जो अपनी नमाज़ से बेपरवाह हैं। वह जो दिखावा करते हैं।
•सुरह मुनाफीकून आयत 9
ऐ ईमान वालों, तुम्हारी सम्पत्ति और तुम्हारी सन्तान तुमको अल्लाह की याद से निश्चेत न करने पाये और जो ऐसा करेगा तो वही घाटे में पड़ने वाले लोग हैं। इस पोस्ट को अपने सभी दीनी भाई बहनों तक पहुंचा दो… शुक्रिया !
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