नबी-ए-करीम ने फरमाया कि अगर तुमने मुझे ख्वाब में देखा तो यह समझ लेना कि वह मैं…

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अबू हुरैरा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जिसने मुझे ख्वाब में देखा उसने मुझ ही को देखा क्यूंकी शैतान मेरी सूरत नही बना सकता (सही मुस्लिम, जिल्द 5, 5919).

अबू हुरैरा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जिसने मुझे ख्वाब में देखा वो किसी दिन मुझे जागते हुए भी देखेगा और शैतान मेरी सूरत नही बना सकता.

(सही बुखारी, जिल्द 5,6993) हज़रत मुहम्मद मुहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मुत्तलिब” का जन्म सन ५७० ईसवी में हुआ था. इन्होंने इस्लाम धर्म का प्रवर्तन किया.

ये इस्लाम के सबसे महान नबी और आख़िरी सन्देशवाहक (अरबी: नबी या रसूल, फ़ारसी : पैग़म्बर) माने जाते हैं जिन को अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रईल द्वारा क़ुरआन का सन्देश’ दिया था.

मुसलमान इनके लिये परम आदर भाव रखते हैं. हज़रत मुहम्मद का जन्म मुस्लिम इतिहासकारों के अनुसार अरब के रेगिस्तान के शहर मक्काह में 8 जून ,570 ई. को हुआ. ‘मुहम्मद’ का अर्थ होता है ‘जिस की अत्यन्त प्रशंसा की गई हो.

इनके पिता का नाम अब्दुल्लाह और माता का नाम बीबी आमिनाह है. अंत में सन् 622 में उन्हें अपने अनुयायियों के साथ मक्का से मदीना के लिए कूच करना पड़ा. इस यात्रा को हिजरत कहा जाता है और यहीं से इस्लामी कैलेंडर हिजरी की शुरुआत होती है.

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