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मुगिरा बिन शुबा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की जब मैं नजरान में आया तो वहां के लोगों (ईसाईयों) ने इस बात पर ऐतराज़ किया की तुम क़ुरान में (सुरह मरयम आयत 28में ) पढ़ते हो या उखता हारूना ( यानी एह हारून की बहन).
जबकि मूसा अलैही सलाम ,(मरयम अलैहि सलाम के बेटे) ईसा अलैही सलाम से बहुत साल पहले पैदा हुए थे (तो फिर मरयम अलैही सलाम हारून अलैही सलाम की बहन कैसे हो सकती है)
जब मैं रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम के पास आया और आपसे ये पूछा तो आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया( ये वो हारून नहीं जो मूसा अलैही सलाम के भाई थे).
बल्कि बनी इसराईल की आदत थी की वो(अपनी औलादों का) नाम नबियों और नेक लोगो के नाम पर रखते थे ( जैसे आजकल लोग अपने बच्चो का नाम नबियों के नाम से रखते हैं) सही मुस्लिम, जिल्द 5, 5598
इब्न अब्बास रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने मुआज़ रदी अल्लाहू अन्हु को यमन भेजा तो फरमाया की मैं तुमको एक ऐसी क़ौम की जानिब भेज रहा हू जो अहल ए किताब हैं (यानी यहूद और ईसाई ).
और जब तुम उनके पास पहुँचो तो उनको बुला कर कहना की वो गवाही दे दे की अल्लाह के सिवा कोई भी इबादत के लायक़ नही और मुहम्मद सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम अल्लाह के रसूल हैं, अगर वो तुम्हारा हुक्म तसलीम कर ले तो फिर उनसे कहना की अल्लाह सुबहानहु ने उन पर दिन रात में पाँच वक़्त की नमाजें फ़र्ज़ की हैं.
अगर वो इसको भी मान ले तो उनसे कहाँ की अल्लाह सुबहानहु ने उन पर ज़कात भी फ़र्ज़ किया है जो की उनके अमीरो से लिया जाएगा और ग़रीबो में तक़सीम किया जाएगा अगर वो इसको भी क़ुबूल कर ले तो उनके अच्छे माल लेने से बचो और मज़लूम की बद्दुआ से बचते रहना क्यूंकी उस के और अल्लाह के दरमियाँ कोई रुकावट नही होती. सही बुखारी, जिल्द 2, 1496
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