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सोशल मीडिया में पिछले कुछ दिन से एक वीडियो बहुत तेजी से वायरल हो रहा है. जिसमें एक महिला इमाम बनकर नमाज पढ़ रही है. और तमाम मुस्लिम लोग उसके पीछे खड़े होकर नमाज अदा कर रहे हैं. दरअसल यह कोई मुस्लिम महिला नहीं है|
इसका खुलासा तब हुआ जब इस महिला से पुछा गया की सरे दिन भर में कितने वक़्त नमाज़ होती है. तब उसने बताया नमाज तीन वक्त की होती है. महिला के अनुसार मुस्लिम लोग पहली नमाज़ सुभ पड़ते हैं और दूसरी शाम को और आखिरी नमाज रात के वक्त पढ़ी जाती है.
केरल में पुरुषों को नमाज पढ़ाकर सुर्खियों में आई ज़मीदा ने न्यूज18 हिन्दी से फोन पर हुई खास बातचीत में ये बताया कि नमाज पांच वक्त की नहीं तीन वक्त की होती हैं. ज़मीदा के अनुसार नमाज सुबह, शाम और रात के वक्त पढ़ी जाती हैं.
वहीं दूसरी ओर ज़मीदा ने नमाज पढ़ने के तरीके पर भी सवाल उठाया है. ज़मीदा का कहना है कि एक बार (एक रकात) नमाज में सिर्फ एक बार ही सजदा होता है. लेकिन दिन में तीन नमाज और एक सजदे का जिक्र कुरान में कहां किया गया है इस बारे में ज़मीदा कोई जबाव नहीं दे सकीं.
ज़मीदा का कहना है कि हम सिर्फ कुरान को मानते हैं. हदीस में लिखी बातों को मानने से ज़मीदा इंकार करती हैं. एक महिला इमाम बनकर पुरुषों को नमाज पढ़ा सकती है इस बारे में ज़मीदा का कहना है कि ऐसा करके वो लिंगभेद को मिटाना चाहती है और महिलाओं को पुरुषों के बराबर दर्जा दिलाना चाहती है. उनका कहना है कि वह कुरान सुन्नत सोसाइटी से जुड़ी हुई हैं और ये सोसाइटी प्रगतिशील सोच रखती है.
लेकिन पुरुष महिलाओं के पीछे नमाज पढ़ सकते हैं इस बारे में भी ज़मीदा कोई दस्तावेज प्रस्तुत करने से इंकार करती हैं. ज़मीदा का कहना है कि महिलाओं के अधिकार के लिए वह आगे भी इसी तरह से पुरुषों को नमाज पढ़ाकर इमामत करती रहेंगी. पीके मोहम्मद अबुल हसन चेकन्नूर मौलवी ने कुरान सुन्नत सोसाइटी बनाई थी.
चेकन्नूर मौलवी ने उठाई थी तीन नमाज और महिला इमाम की बात:
पुरुषों को नमाज पढ़ाने वाली ज़मीदा और दिन में सिर्फ तीन नमाज होने की बात कहने वालों के पीछे केरल की ‘कुरान सुन्नत सोसाइटी’ है. नमाज तीन होती हैं और नमाज पढ़ने के तरीके में बदलाव की बात कोई पहली बार नहीं हुई है. न्यूज18 हिन्दी की खास पड़ताल में ये बात सामने आई है कि 1990 के दशक में भी केरल से ये बात उठी थी. और इस आवाज को बुलंद करने वाले थे पीके मोहम्मद अबुल हसन मौलवी उर्फ चेकन्नूर मौलवी.
कौन थे पीके मोहम्मद अबुल हसन मौलवी:
चेकन्नूर मौलवी अरबी विषय के रिसर्च स्कॉलर थे. ये केरल के मलप्पुरम में 1936 में चेकन्नूर मौलवी का जन्म हुआ था. कॉलेज के समय से ही चेकन्नूर मौलवी ने सिर्फ कुरान को मानने की बात कहते हुए हदीस (जिसमे कुरान के अलावा बहुत सारी बातें बताई गई हैं और जो हुजूर ने फरमाई थी.) को मानने से इंकार करते थे. चेकन्नूर मौलवी ने ही सबसे पहले दिन में पांच वक्त पढ़ी जाने वाली नमाजों को तीन बताया था. उनका कहना था कि सिर्फ सुबह, शाम और रात के वक्त ही नमाज पढ़ी जानी चाहिए.
मौलवी ने बनाई थी कुरान सुन्नत सोसाइटी:
ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए चेकन्नूर मौलवी ने एक संस्था कुरान सुन्नत सोसाइटी का भी गठन किया था. ये सोसाइटी आज भी केरल में काम कर रही है. ज़मीदा के अनुसार इस सोसाइटी में केरल से एक लाख लोग जुड़े हुए हैं. वहीं सऊदी अरब, सिंगापुर और मलेशिया के लोग भी इस सोसाइटी के साथ जुड़े हैं.
1993 से गायब हैं चेकन्नूर मौलवी:
चेकन्नूर मौलवी की पत्नी उम्मा के अनुसार एक दिन शाम के वक्त दो लोग उनके घर पर आए. और जगह पर भाषण (तकरीर) कराने के लिए चेकन्नूर मौलवी को ले गए. लेकिन उसके बाद से चेकन्नूर मौलवी का कोई पता नहीं चला है. सीबीआई भी इस मामले में जांच कर चुकी है.
सीबीआई कोर्ट दो लोगों को इस मामले में दो-दो साल की सजा भी सुना चुकी है. वहीं सुप्रीम कोर्ट में भी ये मामला उठ चुका है. चेकन्नूर मौलवी की सूचना देने वाले को तीन लाख रुपये तक का इनाम देने की घोषणा की गई थी. लेकिन अभी तक चेकन्नूर मौलवी की बॉडी भी बरामद नहीं हो पाई है.
क्या कहते हैं भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष:
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब्दुल रशीद अंसारी का कहना है कि ‘नमाज और नमाज पढ़ने के तरीकों के बारे में कुरान और हदीस से सब कुछ जाहिर है. इसलिए जो बात कुरान और हदीस से जाहिर है तो वो किसी एक शख्स के कहने से पांच से तीन या छह नहीं हो जाएंगी. कुरान और हदीस में किसी शख्स की मर्जी नहीं चलती है.’
केरल के तथाकथित महिला इमामत करने वाली की परत दर परत पोल खुलती जा रही है। सोशल मीडिया पर कुछ फोटो वायरल हो रही है, जिसमें उसे RSS समर्थक बताया जा रहा है। कुछ लोग सोशल मीडिया पर यह भी लिख रहे हैं कि हादिया के मामले में वह हादिया के पिता का साथ दे रही थी। कहा जा रहा है कि अक्सर यह फर्जी महिला इसलाम के मुद्दे और मुसलमानों के मुद्दे पर मुसलमानों से उलझती रहती है, हमेशा विवादों में रहती है।
केरल में कुछ दिनों पहले ही एक महिला ने जमात को नमाज़ पढ़ाने दावा किया, दावा किया गया कि यह देश की पहली महिला इमाम है जिसने एक जमात की इमामत की है, लेकिन अब बहुत बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। नमाज़ पढ़ा रही महिला ने नमाज़ में कई गलतियां की हैं। मुस्लिम समुदाय इस महिला के मुसलमान नहीं होने का शक किया है। वजह यह रही कि नमाज़ पढ़ाने वाले कोई भी इमाम की इसलाम धर्म पर अच्छी जानकारी होती है।
महिला ने नमाज़ के एक हिस्से में बड़ी गलती कर दी है। रुकू से उठते वक्त उसने ‘समि अल्लाह हुलेमन हमिदा’ की जगह ‘अल्लाहु अकबर’ कहती सुनी जा रही है। मुसलामानों का मानना है कि यह एक बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकता है।
साथ ही नमाज़ अदा कर रहे लोगों पर भी सवाल खड़े किए हैं। क्योंकि नमाज़ में गलती अगर इमाम करता है तो पीछे से कोई भी शख्स लुकमा यानी इमाम के गलती का अहसास करा सकता है, जिसको इमाम फौरन सुधार कर सकता है। यहां महिला की इतनी बड़ी गलती पर नमाज़ अदा कर रहे किसी भी शख्स ने लुकमा नहीं दिया है। मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि ये लोग जो नमाज़ पढ़ते दिख रहे हैं, वो मुस्लिम नहीं भी हो सकते हैं।
यह इसलाम और मुसलमानों को बदनाम करने की एक साजिश हो सकती है। यहां तक कि सजदे में भी बड़ी चूक देखी जा रही है। नमाज़ मुकम्मल होने के लिए दो सजदे की जरूरत होती है। विडियो में देखा जा सकता है, नमाज़ पढ़ने में शामिल पुरुषों के साथ महिलाओं की मौजूदगी है।आपको बता दें कि इसलाम धर्म में महिलाओं को इमामत करने की इजाजत नहीं है। इसलिए मुसलमानों ने इसे एक साजिश का हिस्सा बता रहे हैं।
केरल में तथाकथित “कुरान और सुन्नत सोसाइटी” की महिला सचिव की जुमा की नमाज़ की इमामत करने की खबर की धार्मिक व दीनी हस्तियाँ और उलेमाए किराम ने कड़ी नाराज़गी ज़ाहिर की है। उलेमाओं ने कहा कि महिला सचिव का यह कार्य शरियत के खिलाफ है। उलेमा का कहना है कि इस्लाम महिलाओं को इमामत की इजाजत नहीं देता। महिलाओं के लिए साफ़ तौर पर आदेश है कि वह अपने घरों में रहकर अपनी नमाज़ अदा करें।
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