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हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के बाद इंजील वालों की हालत ख़राब हो गई, वो बुत परस्ती में गिरफ़तार हो गए और दूसरों को बुत परस्ती पर मजबर करने लगे. उनमें दक़ियानूस बादशाह बड़ा जाबिर था.जो बुत परस्ती पर राज़ी न होता, उसको क़त्ल कर डालता. असहाबे कहफ़ अफ़सूस शहर के शरीफ़ और प्रतिष्ठित लोगों में से थे.
दक़ियानूस के ज़ुल्म और अत्याचार से अपना ईमान बचाने के लिय भागे और क़रीब के पहाड़ में एक गुफ़ा यानी ग़ार में शरण ली. वहाँ सो गए. तीन सौ बरस से ज़्यादा अर्से तक उसी हाल में रह.
बादशाह को तलाश से मालूम हुआ कि वो ग़ार के अन्दर हैं तो उसने हुक्म दिया कि ग़ार को एक पथरीली दीवार खींच कर बन्द कर दिया जाय ताकि वो उसमें मर कर रह जाएं और वह उनकी क़ब्र हो जाए.
यही उनकी सज़ा है. हुकूमत के जिस अधिकारी को यह काम सुपुर्द किया गया वह नेक आदमी था, उसने उन लोगों के नाम, संख्या, पूरा वाक़िआ रांग की तख़्ती पर खोद कर तांबे के सन्दूक़ में दीवार की बुनियाद के अन्दर मेहफ़ूज़ कर दिया.
यह भी बयान किया गया है कि इसी तरह की एक तख़्ती शाही ख़ज़ाने में भी मेहफ़ूज़ करा दी गई. कुछ समय बाद दक़ियानूस हलाक हुआ.
ये नाम लिखकर अगर दरवाज़े पर लगा दिये जाएं तो मकान जलने से महफ़ूज़ रहता है. माल में रख दिये जाएं तो वह चोरी नहीं जाता, किश्ती या जहाज़ उनकी बरकत से डूबता नहीं, भागा हुआ व्यक्ति उनकी बरकत से वापस आ जाता है.
कहीं आग लगी हो और ये नाम कपड़े में लिखकर डाल दिये जाएं तो वह बूझ जाती है, बच्चे के रोने, मीआदी बुख़ार, सरदर्द, सूखे की बीमारी, ख़ुश्की व तरी के सफ़र में जान माल की हिफ़ाज़त, अक़्ल की तीव्रता, क़ैदियों की आज़ादी के लिये नाम लिखकर तअवीज़ की तरह बाज़ू में बांधे जाएं.
वे नाम जिनकी बरकत बेशुमार है
(1) मक्सलमीना (2) यमलीख़ा (3) मर्तूनस (4) बैनूनस (5) सारीनूनस (6) ज़ूनवानस (7) कुशेफ़ीत
(8) तुनूनस और उनके कुत्ते का नाम क़ितमीर है.
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