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अबू दर्दा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया (दज्जाल से) जंग के वक़्त मुसलमान गौता में जमा होंगे , जो इस शहर के एक जानिब में है जिसको दमिश्क कहा जाता है , जो की मुल्क-ए-शाम (सीरीया) के बेहतरीन शहरो में से है. सुनन अबू दाऊद, जिल्द 3,893-सही
رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ( دجال سے ) جنگ کے روز مسلمان غوطہٰ میں جما ہونگے جو اس شہر کے ایک جانب میں ہے جسے دمشق کہا جاتا ہے، جو شام کے بہترین شہروں میں سے ہے ۔
سنن ابو داوود جلد ٣، حدیث ٨٩٣-صحیح
Narrated Abu Darda Radi Allahu Anhu Rasool-Allah Sallallhu Alaihi Wasallam said: The place of assembly of the Muslims at the time of the war (With Dajjal) will be in Ghouta near a city called Damascus, one of the best cities in Syria.
उक़बा बिन आमिर रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम हमारे पास आए और फरमाया की तुम में से कौन चाहता है की रोज़ सुबह को बूतहान या अक़ीक़ को जाए (ये दोनो मदीना के बाज़ार थे) और वहां से बगैर किसी गुनाह के और बगैर किसी रिश्तेदार की हक़ तल्फि के दो बड़े बड़े कुहान वाली ऊटनियां लाए.
हमने अर्ज़ किया या रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम हम सब इसको चाहते हैं तो आप सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया तुम में से जो कोई मस्जिद की तरफ जाता है की वो अल्लाह की किताब से दो आयतें खुद पढ़ ले या सीखा दे ये उसके लिए दो ऊंटनियों से बेहतर है.
और तीन (आयतें पढ़ना या सीखाना) तीन (ऊंटनियों) से बेहतर है , और चार (आयतें पढ़ना या सिखाना ) चार से बेहतर है इस तरह आयतों की तादाद ऊंटनियों की तादाद से बेहतर है. सही मुस्लिम, जिल्द 2 , 1873
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