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यूपी के सहारनपुर स्थित दारुल उलूम देवबंद के उलेमाओं ने एक फतवा जारी किया है। उलेमा ने जीवन बीमा पॉलिसी कराना या अपनी जाएदाद की बीमा कराना गैर-इस्लामिक बताया है।
उलेमा ने कहा कि इस्लाम में जान-माल और संपत्ति का बीमा करना या कराना दोनों ही हराम है। फतवे के मुताबिक बीमा से मिलने वाला लाभ सूद की श्रेणी में आता है इसलिए हराम है।
दारुल उलेमा ने कहा कि बीमा कंपनी इंसान की जिंदगी नहीं बचाती है इसलिए हर इंसान को सिर्फ अल्लाह पर भरोसा होना चाहिए।
बीमा कंपनी से जो भी रकम हासिल होती है, वह उसे कारोबार में लगाती है और उसका मुनाफा बीमा धारकों में बांटा जाता है। इस लिहाज़ से जो भी रकम बीमे से मिलती है वह सूद पर आधारित होती है और सूद इस्लाम में हराम है।
नाजिफ अहमद जो वरिष्ठ उलेमा मौलाना और देवबंद मदरसा के प्रमुख दारुल उलेमा ने कहा कि फतवा इस्लामिक शरियत को मद्दे नज़र रखते हुए जारी किया गया है। मुसलमानों को सिर्फ अल्लाह पर भरोसा होना चाहए ना की किसी बीमा कंपनी पर क्योंकि जब जिंदगी और मौत की बात आती है तो सिर्फ उसे बचाने वाला सिर्फ अल्लाह होता है।
दारूल उलेमा ने कहा कि बीमा कराना एक तरह का जुआ और धोखाधड़ी है। लिहाजा इसकी बुनियाद पर जीवन बीमा या जाएदाद का बीमा कराना पूरी तरह गलत है और यह इस्लाम में हराम है। आपको बता दें कि, इस साल नए देवबंद उलेमाओं ने कई फतवे जारी किए हैं।
हाल ही में मुस्लिम महिलाओं के फुटबॉल मैच देखने के खिलाफ फतवा जारी किया गया था जिसमें कहा गया था फुटबॉल मैच देखते वक़्त महिलाओं की नज़र खिलाडियों की नंगी टांगों पर रहती है। दूसरा फतवा मुस्लिम महिलाओं के डिजाइनर कपड़े पहनने और फिटिंग का बुर्का पहनने को हराम बताया था।
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