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इब्न उमर रदी अल्लाहू के पास एक शख्स को छींक आई तो उसने कहा अल्हाम्दुलिल्लाह वा अस सलामू अला रसूल-अल्लाह , इब्न उमर रदी अल्लाहू अन्हु ने उस से कहा छींक आने पर अल्हाम्दुलिल्लाह वा अस सलामू अला रसूल-अल्लाह मैं भी कह सकता हूँ|
मगर रसूल-अल्लाह सल-आल्लाहू अलैही वसल्लम ने हमको इस तरह नही सिखाया है बल्कि आप ने हमें ये कलीमात सिखाए अल्हम्दुलिल्लाह अला कुल्ली हाल (या अल्हाम्दुलिल्लाह) जामिया तिरमिज़ी , जिल्द 2, 634-हसन
नोट: इस हदीस से ये मालूम हुआ की दीन में कोई भी काम अपनी मर्ज़ी से बढ़ाना जायज़ नही है चाहे वो अच्छी बात ही क्यूँ ना हो, यहाँ बज़ाहिर तो उस शख्स ने छींक आने पर ऱसूलाल्लह ﷺ पर सलाम भेजा था जो की एक अच्छा अमल था मगर आप ﷺ और उनके हिदायत याफ़्ता सहाबा रदी अल्लाहू अन्हुमा से ये अमल साबित नही था इसलिए उस शख्स को इस से मना कर दिया गया|
उम्म आएशा रदी अल्लाहू अन्हा से रिवायत है की रसूल अल्लाह सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जिसने हमारे दीन में ऐसी बात का ईज़ाफा किया जो उसमें नही तो वो क़ुबूल नही किया जाएगा| सुनन इब्न माजा, जिल्द 1 , #14 -सही
जाबिर बिन अब्दुल्लाह रदी अल्लाहु अन्हु से रिवायत है की रसूल अल्लाह सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने खुतबे में अल्लाह सुबहानहु की हम्द और सना बयान फरमाते जैसा की उसका हक है फिर आप सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते जिसको अल्लाह सुबहानहु हिदायत दे उसको कोई गुमराह करने वाला नहीं|
और जिसको अल्लाह सुबहानहु गुमराह कर दे उसको कोई हिदायत देने वाला नहीं बेशक सबसे सच्ची किताब अल्लाह की किताब है और सबसे बेहतर तरीका मुहम्मद सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम का तरीका है सबसे बुरी चीज़ (दीन में) नए नए काम पैदा करना है और हर नया काम बिदअत है| और हर बिदअत गुमराही है और हर गुमराही जहन्नम में ले जाएगी|
सुनन नसाई , जिल्द : 2, हदीस : 1581 – सही
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