सीरिया की एक ‘प्राचीन मस्जिद’ जिसे कभी मंगोलो ने तबाह कर दिया था, लेकिन आज…

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आज हम आपको एक ऐसी प्राचीन मस्जिद के बारे में बताने जा रहे है जो सीरिया के अलेप्पो शहर के बीच कभी शान से खड़ी रहा करती थी लेकिन कुछ साल पहले विध्वंसक युद्ध के बाद सीज़फ़ायर होने पर मलबे में तब्दील हो गई है।

किसी समय शानदार रही Umayyad मस्जिद, जिसे महान मस्जिद कहते है को 13 October 2012 के दिन काफ़ी नुक़सान पहुंचा था।

उमय्यद ख़लीफ़ा अल वलीद I ने 715 में इस मस्जिद की तामीर का काम शुरु किया था जिसे उनके बाद सलमान इब्न अब्द अल मलिक ने 717 में पुरा किया था। 11वीं सदी में अलेप्पो शहर Mirdasids के क़ब्ज़े में रहा और उन्होने मस्जिद की तौसीफ़ का काम आगे बढ़ाया।

सलजुक़ो के दौर में अलेप्पो शहर के क़ाज़ी अबु हसन मुहम्मद ने 1090 में 45 मीटर उंचे मीनार की तामीर करवाई थी जो 1094 में मुकम्मल हुई।

आग लगने के बाद तबाह हुई मस्जिद की मरम्मत और तामीर का काम 1159 में वापस अज़ीम सिपाहसालार नुरउद्दीन ज़ंगी ने किया था। इस मस्जिद को 1260 में मंगोलो ने एक बार फिर तबाह कर दिया था। इसके बाद 1260 से 1516 तक ये मस्जिद ममलुको के ज़ेर ए निगरानी रहा और उन्होने ही इस मस्जिद की ख़ुबसुरती में चार चांद लगाया, मेहराबें और मिम्बर बनवाईं।

उमय्यद मस्जिद जिसे दमिश्क की महान मस्जिद के रूप में भी जाना जाता है जो सीरिया में दमिश्क के पुराने शहर में स्थित है। विश्व में सबसे पूरानी और सबसे बड़ी मस्जिदो में एक है, और कुछ मुसलमानों द्वारा इस्लाम में चौथा सबसे पवित्र स्थल माना जाता है।

634 ईस्वी में दमिशक की अरब मुस्लिम विजय बाद मस्जिद ईसाई और मुसलमानों द्वारा भविष्यद्वक्ता(पैगम्बर) के रूप सम्मानित जॉन वैप्टिस्ट (हज़रत याह्या अ.स.) को समर्पित बनाई गई थी।

सलजुक़ो के दौर में अलेप्पो शहर के क़ाज़ी अबु हसन मुहम्मद ने 1090 में 45 मीटर उंचे मीनार की तामीर करवाई थी जो 1094 में मुकम्मल हुई। आग लगने के बाद तबाह हुई मस्जिद की मरम्मत और तामीर का काम 1159 में वापस अज़ीम सिपाहसालार नुरउद्दीन ज़ंगी ने किया था।

इस मस्जिद को 1260 में मंगोलो ने एक बार फिर तबाह कर दिया था। इसके बाद 1260 से 1516 तक ये मस्जिद ममलुको के ज़ेर ए निगरानी रहा और उन्होने ही इस मस्जिद की ख़ुबसुरती में चार चांद लगाया, मेहराबें और मिम्बर बनवाईं।

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