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नई दिल्ली:तय्यब एर्दोगान का नाम इस समय बच्चे की ज़बान पर है. क्योंकि बैतूल मुक़द्दस पर अमेरिका को मुँहतोड़ जवाब संयुक्त राष्ट्र महासभा में एर्दोगान ने ही दिलवाया है, तथा अभी इससे पहले मयांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के क़त्लेआम पर जिस बहादुरी और हिम्मत दिलेरी से उनको तुर्की में शरण देने का काम किया है|
उससे तो इंसानियत का दिल जीत लिया है। तय्यन एर्दोगान ने तुर्की की पूरी काया पलट कर रख दी है हर कोई तुर्की के सिस्टम और सरकार की तरीफ करता है, तुर्की का नाम दुनिया के विकसित देशों में गिना जाने लगा है, तुर्की पर अब किसी भी प्रकार का कोई क़र्ज़ा नही है।
तय्यब एर्दोगान ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत छात्र जीवन से करी थी इसके बाद राजधानी इसतम्बूल के मेयर का चुनाव जीत कर मेयर बने तथा 2003 से 2011 तक तुर्की के प्रधानमंत्री रहे हैं और 28 अगस्त 2014 से अब तक तुर्की के राष्ट्रपति के पद की गरिमा बढ़ा रहे हैं।
एर्दोगान ने अपने शासनकाल में आईएमएफ का 23.5 अरब का क़र्ज़ा चुकाया है और तुर्की ने वर्ल्ड बैंक को क़र्ज़ा देने की ऑफर दी है। तथा तुर्की में शिक्षा में सुधार लाकर एर्दोगान ने इस्लामिक शिक्षा को सलेब्स में जगह देकर इतिहास रचा और जिन स्कूलों में बच्चों की संख्या 65 हज़ार थी वो बढ़कर 8 लाख बच्चों तक पहुँच गई।
तुर्की में युनिवर्सटी को संख्या 98 से बढ़कर 190 तक पहुंच गई है और तुर्की को शिक्षा का केंद्र समझा जाने लगा है। तुर्की में लगी हुई 12 साल से कम के बच्चों की पाबंदी हटाकर तमाम स्कूलों में क़ुरआन का पढ़ाना और शरई तलीम देना ज़रूरी क़रार दिया गया।
मस्जिद और स्कूल के 100 मीटर के क्षेत्र में शराब के विज्ञापन को प्रतिबन्ध किया गया। एर्दोगान ने एक साल में 17 हज़ार नई मस्जिदें बनवाई और उनका आज़ाद कराने का काम किया है। तुर्की नागरिकों को ग्रीन कार्ड जारी करके किसी भी हॉस्पिटल में मुफ्त इलाज की सुविधा मुहैया कराई गई है कोई भी नागरिक तुर्की के किसी भी हॉस्पिटल में मुफ्त में इलाज करा सकता है।
एर्दोगान ने तुर्की में महिलाओं को पर्दे के साथ नौकरी करने की इज़ाज़त दी है। तुर्की में सूदी बैंकों को खत्म करके इस्लामिक बैंकिंग की शुरआत करी और तुर्की में सूद का सिस्टम खत्म किया है।
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