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चंगेज़ ख़ान, तारीख़ के पन्नों में दर्ज एक ऐसा नाम है जो अपने ज़ुल्म और बहादुरी की कहानियों के लिए दुनिया भर में मशहूर है.उसकी फ़ौजें जिस भी इलाक़े से गुज़रती थीं अपने पीछे बर्बादी की दास्तान छोड़ जाती थीं.
इतिहास में इतने बड़े हिस्से पर आज तक किसी ने कब्ज़ा नहीं किया.जितना चंगेज़ खान ने.
चंगेज़ खान नहीं चाहता था लोग उसको जाने…
दुनियाभर में जितने भी बड़े महाराजा, सुल्तान या बादशाह रहे उनके मरने के बाद भी मक़बरों की शक्ल में उनके निशान बाक़ी रहे. ये मक़बरे शायद इसलिए बनाए गए क्योंकि वो चाहते थे कि लोग उन्हें हमेशा याद रखें.
लेकिन हैरत की बात है कि चंगेज़ ख़ान ने अपने लिए एक अजीब वसीयत की थी. वो नहीं चाहता था कि उसके मरने के बाद उसका कोई निशान बाक़ी रहे.
अभी तक नहीं मिली उसकी कब्र….
उसने अपने साथियों को आदेश दिया कि उसके मरने के बाद उसे किसी गुमनाम जगह पर दफ़नाया जाए. वसीयत के मुताबिक़ ऐसा ही किया गया.
सैनिकों ने उसे दफ़नाने के बाद उसकी क़ब्र पर क़रीब एक हज़ार घोड़ों को दौड़ाकर ज़मीन को इस तरह से बराबर कर दिया ताकि कोई निशान बाक़ी ना रहे.मंगोलिया के रहने वाले चंगेज़ ख़ान की मौत के बाद आठ सदियां बीत चुकी हैं. इसे लेकर तमाम मिशन चलाए गए, लेकिन उसकी क़ब्र का पता नहीं चला.
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