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यह वाक्या हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम के बचपन का है। हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने रात को एक ख्वाब देखा की खुदा उनसे कहता है की वह क़ुर्बानी कर रहे है।
तो उन्होंने अगले दिन सों ऊँट क़ुर्बान कर दिए अगली रात को फिर यही ख्वाब देखा तो आपने अगले दिन भी सों ऊँटो को अल्लाह के नाम पर क़ुर्बान कर दिया। तीसरी रात फिर यही ख्वाब आया। तो आप परेशान हुए। आप ने सोचा मसला कुछ और है तो आप ने फिर रात को ख्वाब देखा की आप अपनी सबसे प्यारी चीज़ अपने बेटे हजरत इस्माईल को क़ुर्बान कर रहे है।
अगले दिन उन्होंने अपने बेटे से इस मसले पर बात की तो हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम ने कहा के अब्बा जान अगर अल्लाह की तरफ से यही हुक्म आया है तो आप बेशक़ मुझे अल्लाह की राह मैं क़ुर्बान कर दीजिये आप मुझे सब्र करने वालो मैं पाएंगे।
और फिर हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने अपने बेटे की क़ुर्बानी करने का फैसला किया आप ने अपने प्यारे बेटे के हाथ पैर बाँध दिए और ज़िबाह करने के लिए जमीन पर लेटा दिया। और उनके गले पर छुरी चलाई लेकिन अल्लाह के हुक्म से छुरी नहीं चली और आवाज़ आयी ”ए इब्राहिम तूने ख्वाब सच कर दिखाया”
उसी वक़्त हजरत जिब्राईल जन्नत से एक दुम्बा (भेंड़) ले आये और हजरत इस्माईल की जगह उस दुम्बे को क़ुर्बान किया गया
हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते है। की क़ुर्बानी इब्राहिम की सुन्नत है.
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