-
1.7KShares
जकार्ता के ईसाई गवर्नर को ईशनिंदा का दोषी पाया गया है और दो साल कैद की सजा दी. इस फैसले के बाद इंडोनेशिया में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.
देश इंडोनेशिया में पिछले सालों में आस्था से जुड़े विवाद बढ़ गये हैं, जिसका असर उसकी बहुलतावादी छवि पर हो रहा है. इंडोनेशिया की मॉडरेट और समावेशी इस्लाम तथा छह धर्मों के लिए संवैधानिक गारंटी की तारीफ होती रही है.
लेकिन इस्लाम की अनुदारवादी विचारधारा की लोकप्रियता बढ़ने के साथ ईसाईयों के अलावा शिया तथा अहमदिया मुसलमानों पर हमले बढ़े हैं. हार्डलाइनरों के दबाव में कुछ चर्चों और अल्पसंख्यक मुसलमानों की मस्जिदों को बंद करना पड़ा है.
एक विख्यात हुए मामले में भीड़ ने पुलिस के सामने ही तीन अहमदिया मुसलमानों को पत्थर मार कर जान से मार डाला गया. तानाशाह सुहार्तो के तीन दशक के शासन के दौरान इंडोनेशिया की सरकार ने देश को धर्मनिरपेक्षता के आधार पर चलाने की कोशिश की.
जिसमें धर्म को सार्वजनिक जीवन से दूर रखा गया और हार्डलाइनर गुटों के प्रभाव को भी सीमित रखा गया. विश्लेषकों का कहना है कि उन्हें अदालत द्वारा जेल भेजे जाने से ऐसे गुटों को प्रोत्साहन मिलेगा. पुरनामा पर इस्लाम का अपमान करने के आरोप पिछले साल सितंबर में चुनाव से पहले दिए गए भाषण में उनकी टिप्पणियों पर आधारित थे.
उन्होंने अपने विरोधियों पर लोगों को लुभाने के लिए धार्मिक ग्रंथ कुरान की आयतों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था.
Comments
comments