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फातेह बैतुल मुक़द्दस सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी; अल्लाह के इस बंदे की शख्सियत पढ़े तो लगता है कोई बद्री सहाबी था जिसे अल्लाह ने बाद में अपने एक अहम काम के लिए बचा कर रख दिया था.
सलाहुद्दीन अय्यूबी से पूछा गया कि आप मिस्र, शाम, लेबनान, के सुल्तान है और आपको कभी हंसते मुस्कुराते नहीं देखा आप ने जवाब दिया कि मैं कैसे मुस्कुराऊं जब बैतूल मुक़द्दस ईसाइयों के कब्जे में हैं. नजूमीयों ने बताया कि अगर आप ने बैतूल मुकद्दस की तरफ़ पेशकदमी की तो आपकी एक आंख खराब हो सकती है.
सलाउद्दीन अयूबी ने जवाब दिया तुम मेरी एक आंख की बात करते हो मैं अल्लाह की कसम खाकर कहता हूं कि मैं बैतूल मुकद्दस की तरफ पेशकदमी करूंगा फिर बेशक मुझे बैतूल मुकद्दस में अंधा होकर दाखिल होना पड़े और तारीख गवाह है.
यरुशलम ने 88 साल तक एक ऐसे इंसान का इंतजार किया था जो आकर उस शहर को जुल्म से निजात दिलवाकर दोबारा वहां अल्लाह हू अकबर की गूंज पैदा करेगा 27 रजब को सलाहुद्दीन अयूबी यरुशलम में कदम रखा और उसे फतह किया इंग्लिशतान से रिचर्ड और फ्रांस से फिलिप ने बहुत भारी तादाद में फौज ला खड़ा किया था.
सलाउद्दीन ने तमाम मुसलिम हुक्मरानों को खत लिखा लेकिन किसी ने भी मदद नहीं की क्या आप जानते हैं उस वक्त तीन मुस्लिम खलीफा मौजूद थे लेकिन उन्होंने सलाउद्दीन की मदद से इंकार कर दिया सलाहुद्दीन आलमे इस्लाम की इस हालत पर रोते थे.
और आज तारीख को याद नहीं कि वह तीन खलीफा कौन थे किसी को उनके नाम याद नहीं 2 बरस तक ईसाईयों का घेराव कायम रहा और वह इस तरह कैमॉफ्लाज थे कि सलाहुद्दीन अय्यूबी उन पर हमला करने में नाकाम रहते थे. यह वह दिन थे जब सलाहुद्दीन को लोगों ने ऐसा देखा जैसे वह एक मां हो और उनका बच्चा गुम हो गया हो जिस वक्त तीन ख़लीफ़ा अपने-अपने महलों में सुकून की नींद सोए हुए थे.
सलाउद्दीन अयूबी अपने लशकर की सफ़ों में चक्कर लगा रहे होते थे जब यह खलीफा मजेदार खानों से अपने पेट की आग बुझा रहे होते थे इस्लाम का यह अजीम जरनैल एक आम से खेमे में वही खाना खा रहा होता था.
जो एक आम फौजी को मिलता था रिचर्ड शिरोल बादशाह इंग्लिस्तान के अल्फाज थे कि जब तक सलाहुद्दीन जैसा इंसान यरुसलम की हिफाजत कर रहा है तब तक कोई उसे फतेह नही कर सकता.
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