अल क़ुरान एह ईमान वालों जब ज़ूमा के दिन नमाज़ के लिए अज़ान दी जाए तो अल्लाह के ज़िक्र की तरह तेज़ी से आ जाओ और खरीद और फ़रोख़्त (कारोबार) छोड़ दो तुम्हारे लिए यही बात बेहतर है अगर तुम इल्म रखते हो.
फिर जब नमाज़ अदा हो जाए तो ज़मीन में मुन्ताशिर हो जाओ (यानी चलो फ़िरो) और अल्लाह का फ़ज़ल (यानी रिज़क़) तलाश करो और अल्लाह को बहुत याद करो ताकि तुम फ़लाह पाओ. अल क़ुरान, सुरह ज़ूमा (62), आयत : 9-10
अल कुरान: बेशक अल्लाह सुबहानहु और उसके फ़रिश्ते नबी सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दुरुद भेजते हैं , एह ईमान वालो तुम भी उन पर दुरुद और सलाम भेजा करो. सुरह अल-अहज़ाब (33) , आयत 56
जुमा की फ़ज़ीलत और आदाब हदीस की रौशनी में
हज़रत औस बिन औस रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया तुम्हारे तमाम दिनों में ज़ूमा का दिन सबसे अफ़ज़ल है की इस दिन हज़रत आदम अलैहि सलाम को पैदा किया गया और उसी दिन उनकी रूह क़ब्ज़ की गयी और इसी दिन सूर फूँका जाएगा.
और इसी दिन सब बेहोश होंगे इसलिए इस रोज़ (ज़ूमा को) मुझ पर ज़ियादा से ज़ियादा दुरुद भेजा करो क्यूंकी तुम्हारा दुरुद पढ़ना मुझ पर पेश किया जाता है, लोगों ने कहा या रसूल-अल्लाह सलल्लाल्हू अलैहि वसल्लम हमारा दुरुद पढ़ना आप पर किस तरह से पेश होगा जबकि आप तो मिट्टी हो गये होंगे,तो आप सलल्लाल्हू अलैहि वसल्लम ने फरमाया अल्लाह ताला ने अम्बिया कराम के जिस्म को मिट्टी पर हराम कर दिया है. सुनन अबू दावूद जिल्द 1,1035 – सही
हज़रत अनस बिन मलिक रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो शक्ष मुझ पर एक मर्तबा दुरुद भेजेगा तो अल्लाह सुबहानहु उस पर 10 मर्तबा रहमत भेजेगा और उसके 10 गुनाह माफ़ होंगे और 10 दरजात बुलंद होंगे. सुनन आन नसाई, जिल्द 1, 1300-सही
अबू हुरैरा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जब ज़ूमा का दिन आता है तो फरिश्ते मस्जिद के दरवाज़े पर आने वालों का नाम लिखते हैं सबसे पहले आने वाला ऊँट की क़ुर्बानी देने वाले की तरह लिखा जाता है.
उसके बाद आने वाला गाय की क़ुर्बानी देने वाले की तरह फिर मैंडे (भेड़) की क़ुर्बानी का सवाब मिलता है , उसके बाद मुर्गी का, उसके बाद अंडे का लेकिन जब इमाम (ख़ुतबा देने के लिए) बाहर आ जाता है तो ये फरिश्ते अपने दफ़्तर बंद कर देते हैं और ख़ुतबा सुनने में मशगूल हो जाते हैं. सही बुखारी, जिल 2, #929
सलमान फ़ारसी रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जिसने ज़ूमा के दिन गुसल किया और खूब पाकी हासिल की और तेल या खुश्बू इस्तेमाल की फिर ज़ूमा के लिए चला और दो आदमियों के बीच में ना घुसा.
(यानि मस्जिद में बैठे लोगों के ऊपर से फलांगता हुआ ना गया ) और जितनी उसकी किस्मत में थी नमाज़ पढ़ी फिर जब इमाम बाहर आया और ख़ुतबा शुरू किया तो खामोश हो गया,उसके इस ज़ूमा से गुज़रे ज़ूमा तक के तमाम गुनाह बख्श दिए जाएँगे. सही बुखारी, जिल्द 2, 910
ईब्न अब्बास रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया ये दिन (ज़ूमा ) ईद का दिन है जो अल्लाह ने मुसलमानो को अता फरमाया है, इसलिए जो ज़ूमा के लिए आए तो गुसल कर ले और खुश्बू मिल जाए तो लगा ले और तुम पर मिस्वाक भी है. सुनन इब्न माजा , जिल्द 1, 1098-हसन
अबू सईद खुदरी रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो (मुसलमान) जुमा के दिन सुराह अल-कहफ़ की तिलावत करे तो उसके लिए इस जुमा से अगले जुमा तक एक नूर चमकता रहेगा. मुस्तदरक हाकीम 3392-सही, सही अल-जामीअ 6470