रोज़ा और क़ुरआन की शफ़ाअत- रमज़ान आने वाले हैं ये हर मुसलमान को पढ़ना चाहिए

हज़रात अब्दुल्लाह बिन उम्र राज़ी अल्लाहु अन्हु से रिवायत है की हज़रात मुहम्मद सल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की रोज़ा और क़ुरआन बन्दे के लिए शफ़ाअत करेंगे। रोज़े अर्ज़ करेंगे की ए रब्ब मैने इसको दिन में खाने से और दूसरी ख्वाहिशों से रोक दिया था ,इसलय इसके हक़ में मेरी शफ़ाअत क़ुबूल फरमाइए।

और क़ुरआन अर्ज़ करेगा की ए रब्ब मेने इसको रात को सोने से रोका था ,क्यूंकि यह रात को मुझे पढता या सुनता था. इसलिये मेरी शफ़ाअत इसके हक़ में क़ुबूल फरमाइए। इसके बाद प्यारे रसूल ने फ़रमाया की आखिर में दोनों की शफ़ाअत क़ुबूल कर ली जाएगी।

हज़रत अबू उमामा राज़ी अल्लाहु अन्हु से रिवायत है की हज़रत मुहम्मद सल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया की क़ुरआन शरीफ पढ़ो क्यूंकि वह कयामत के दिन अपने आदमियों के लिए शफ़ाअत करने वाला बन कर आएगा। फिर फ़रमाया के -दो सूरह सुरः बकरा और सुरः अले इमरान को पढ़ा करो ,जो बहुत ज़यादा रोशन है।

क्यूंकियह दोनों कयामत के दिन दो बादलों या दो सायबानो या परिंदो की दो जमातों की तरह जो लाइन बनाये हुए हों ऐसी सूरत में आएंगी और अपने पढ़ने वालों के लिए बड़ी ज़ोर से सिफारिश करेंगी। क़यामत बका दिन इंसाफ का दिन होगा हर शख्स अपनी आँखों से अपने अमल का वज़न देख कर जन्नत या दोजख में जायेगा.

किसी को यह कहने की ताक़त होगी ही नहीं की मुझ पर ज़ुल्म हुआ ,में बे वजह दोजख में जा रहा हूँ। इसलय रोज़े और नमाज़ को अपनी ज़िंदगी में क़ायम करलो। इसलिए के वो तुम्हारी शफात का जरिया बनेंगे।

  • TAGS
  • कुरआन
  • रोज़ा
  • शफ़ाअत।