सुन्नत-अपने घरवालों से मशवरा करना

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मुहम्मद पैगम्बर स.अ.व. हर काम के लिए अपने घर के लोगों के साथ मशबरा फ़रमाते थे

हदीस- हुदैबिया के मौके पर मौहम्मद पैगम्बर स.अ.व. ने अपने साथी (सहाबा) से कहा कि अपने अहराम खोल लें तो सहाबा हैरत में पड़ गए की अहराम तो हम लोगों ने उमरे की नीयत से पहना है.

और उम्र किये वगैर अहराम कैसा निकाला जाएं जब मुहम्मद साहब अपने खेमे में पंहुचे तो उम्मे सलमा रजि. अन्हा ने पूछा, या अल्लाह के नवी आप हैरान क्यों है?

तो आप ने पूरी बात बताई,की यह सब आप के सच्चे आशिक है, ऐ अल्लाह के हबीब आप जाइये और अपने जानवरों को कुर्बान कीजिये, जो आप करेंगे बही सब लोग करेंगे, मुहम्मद स.अ.व. ने सलमा राजी. अन्हा का मशबरा कुबूल फ़रमाया, और बहार निकल कर जानवरों को जिव्हा किया, और अहराम खोल लिए और वापसी के लिए तैयार हो गए,

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