भोपाल सेंट्रल जेल का ताला खोलना नामुमकिन और उस जेल से भागने का तो सबाल ही नहीं उठता-उसी बैरक में रहे पूर्व कैदी का दावा

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भोपाल के सेंट्रल जेल से कथित तौर पर फ़रार हुए स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया (सिमी) के आठ सदस्यों के मारे जाने पर सवालों की फेहरिस्ट बढ़ती जा रही है। जेल के पूर्व क़ैदी मोहम्मद ख़लील ने पुलिस के उस दावे की पोल खोल कर रख दी जिसमें उन्होनें बताया था कि कैदियों ने लकड़ी की चाबी से ताले तोड़े थे।

खिलजी का कहना है जेल का लॉक इस तरीके से डिजायन है कि ये संभव ही नहीं है कि अगर कोई अंदर से भी चाभी लगा कर ताला खोलने की कोशिस करे तो यह नामुम्किन है।

आई.एस.सो सर्टिफाइड हाई सिक्यूरिटी जेल में खिलजी अक्टूबर 2013 से मार्च 2014 तक पिछले पांच महीने बंदी रहे है। खिलजी हिंदुस्तान टाइम्स के पत्रकार को बताते हैं कि मैं जेल के ब्लॉक बी के ऐ सेक्टर में था, जहां पर सिमी सदस्यों को रखा गया था। ख़लील ने बताया कि जेल की दीवारें 2 फ़ीट मोटी है और जेल का ताला दीवार के एक फुट अंदर सॉकेट में हैं।

अगर कोई उनको चाबी भी दे देगा तब भी वो ताला नहीं खोल पाएंगे क्योंकि हाथ लॉक तक नहीं पहुंच पायेगा जिससे वह सॉकेट नहीं खीच पायेगा।” जेल जनरल संजय चौधरी ने ख़लील के बयान पर टिप्पणी देने से इंकार करते हुए कहा कि मैं इस पर कुछ नहीं कह सकता क्योंकि जांच शुरू कर दी गयी है और मेरी किसी भी तरह की कोई भी टिप्पणी जांच को प्रभावित कर सकती है इस लिए में इस बात पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता

भोपाल जेल के पुर्व कैदी ख़लील के इस बयान के बाद भोपाल एनकाउंटर केस में शक और गहरा होता जा रहा है।

इससे पहले भी भोपाल एनकाउंटर के कई वीडियो सामने आ चुके है। तीसरे वीडियो से साफ था कि पुलिस टीम जब फरार कैदी पर काबू पा चुकी थी, उसके बाद उनमें से एक मरा नहीं था। उसे गोली लगी थी, लेकिन वह जिंदा था।

पुलिस चाहती तो उसे गिरफ्तार कर सकती थी। लेकिन उसे बाद में दो गोलियां मारी गईं। मानवअधिकार संगठन से लेकर विपक्ष भोपाल पुलिस की कार्यवायी पर सवाल उठा रही है। और इस मामले की न्यायिक जांच बिठाने पर मजबूर कर दिया है।

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