नोटबंदी के चलते हजारों ट्रको के पहिये थमे हाइवे पर फंसे, सामान पहुंचाने का काम ठप

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को ऐलान किया था कि आधी रात से 500 और 1000 के नोट चलन में नहीं रहेंगे। इसका मकसद कालाधन पर शिकंजा कसना था। लेकिन इस से देश की अर्थ विवस्ता पर खासा असर पड़ रहा है देश का कारोबार 70% तक कम हो गया है।

यहाँ कैश के संकट के कारण हजारों ट्रक देश के नैशनल हाइवे पर खड़े हैं। इस वजह से सामानों की डिलिवरी पर खतरा पैदा हो गया है। लॉजिस्टिक्स फर्मों और ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स का कहना है कि 30 लाख में से तकरीबन 90 फीसदी ट्रक पिछले 2-3 दिन से देश की सड़कों पर खड़े हैं।

दरअसल, पेट्रोल पंप, स्टेट हाइवे टोल कलेक्शन पोस्ट और छोटे रेस्ट्रॉन्ट्स 500 और 1000 के नोट से कैश पेमेंट लेने से मना कर रहे हैं। इससे कमोडिटीज, सब्जियां, दाल और अन्य फूड प्रॉडक्ट्स के अपने ठिकाने तक पहुंचने में देरी हो रही है। ऐसे में सामानों की कमी से इनकी कीमतों में भारी बढ़ोतरी हो सकती है।

देश में करीब 1 करोड़ कमर्शल गाड़ियां चलती हैं। इंडस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक, इनमें से 30 लाख ट्रक एक से दूसरे शहरों के बीच माल की ढुलाई करते हैं। एक्सप्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर विजय कुमार ने बताया हम इस पहल के पक्ष में हैं, लेकिन ट्रांसपोर्टर्स को अपने कैश की स्थिति को संभालने के लिए और ज्यादा वक्त दिया जाना चाहिए।’

इसमें DHAL और ट्रक इंडस्ट्री के एग्जिक्युटिव्स के मुताबिक, कुछ हाइवे पर 15 किलोमीटर तक ट्रकों की लाइन लगी है। कैश न होने के कारण ट्रक कई दिनों से अटके पड़े हैं। एक ट्रक कंपनी के चीफ ने बताया, ‘ट्रकों के ड्राइवरों को आम तौर पर लंबी दूरी में अडवांस नगदी के तौर 35,000 रुपये दिए जाते हैं। इसमें से 25,000 रुपये तक फ्यूल पर खर्चा आता है। लेकिन पंप वाले 1000 और 500 की करंसी को लेने से मनाई करते है।

उन्होंने कहा आम तौर पर रोड किनारे ढाबों से अच्छे रिश्ते हैं। हालांकि, यह रिश्ता भी काम नहीं आ रहा है।’ एक एग्जिक्यूटिव के मुताबिक, सरकार ने 14 नवंबर तक नैशनल हाइवे पर टोल कलेक्शन सस्पेंड कर दिया है, लेकिन स्टेट हाइवे के बूथ टोल मांग रहे हैं और इनवैलिड हो चुके नोट स्वीकार नहीं कर रहे हैं। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने सरकार से एटीएम में निकासी की सीमा बढ़ाने की मांग की है।गति जैसे 25 बड़े एक्सप्रेस ऑपरेटर्स शामिल हैं।

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