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ये गुजरात के वीरपुर कस्बे की घटना हैं. एक शेर गौ माता को खा रहा था. लोग मकान की छतों से तमाशा देखते रहें. कोई भी चड्डी य गौरक्षक शेर से गौमाता को बचाने नहीं आया.
हाँ अगर किसी दाढ़ी या टोपी वाले से अगर गाय को खरोच भी आ जाती तो आज सारे हिंदुस्तान में देशभक्ति जाग रही होती
गौरक्षा के नाम पर दलितों, मुस्लिमों को पीटकर बहादुर होने की गौरक्षक हूंकार भरते हैं, अगर दम था तो बचाते शेर से गौमाता को.
शेर के डर से मां को धोखा क्यों दिया ? मतलब अगर कोई दाढ़ी टोपी वाला गौमाता को रोटी भी खिला रहा हो तो उसपर उज़मे ज़हर देकर मारने का इलज़ाम लगा के उसे मार दो।
पर जब हक़ीक़त में कोई शेर गौमाता को खा जाये तो उस वक्त माता के लालो को कोई फर्क नही पड़ता। वाह गजब के नमूने उर्फ़ गौ रक्षक हैं. नोट… इसे ही देशभक्ति कहा जाता है।
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