इलाहाबाद- गौहत्या से लेकर अवैध बूचड़खानों तक मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है । बीफ़ के व्यापार को लेकर ये भ्रम फैलाया जा रहा है कि मुस्लिम ही बीफ़ का व्यापार करते हैं लेकिन हक़ीक़त इससे बिल्कुल अलग है। बीफ़ निर्यात और व्यापार दोनों ही क्षेत्रों में मुस्लिम दूसरे समुदायों से बहुत पीछे हैं या फिर यूं कहा जाए कि बीफ़ निर्यात करने वाली कंपनियों में मुस्लिम ना के बराबर हैं।
दरअसल जानवर को किसान तब बेचता है जब वो जानवर उसके लिए बोझ बन जाता है। गरीब किसान बूढे जानवर को अपने पास रखकर चारा नहीं खिला सकता है क्योंकि उसकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं होती है।
ऐसे जानवरों को बेचने के लिए देश भर के कई राज्यों में मेले लगते हैं जहां जानवर खरीदे और बेंचे जाते हैं। इस खरीदी में मुसलमानों की कोई भूमिका नहीं होती है । कृषि में इस्तेमाल नहीं किए जाने वाले मवेशियों को बड़ी कंपनिया कम दामों पर खरीद लेंती हैं और वही बीफ़ निर्यात करतीं है।
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