क्या आपको कभी पाकिस्तान को नेस्तानाबूद करने का ख़्याल आता है, क्या आपके मन में इस तरह की बातें नाचती हैं कि भारत पाकिस्तान की सेना को कुचल दे, परवेज़ मुशर्रफ से लेकर बाजवा तक को सबक सीखा दे, आई एस आई के मुख्यालय को उड़ा दे, एयरफोर्स भेजकर लाहौर पर बम गिरवा दे, पाकिस्तान को मिटा दे, पाकिस्तान को उड़ा दे, पाकिस्तान को झुका दे, पाकिस्तान को सीखा दे।
अगर दिन में तीन चार बार ऐसे ख़्याल आते हैं तो इसका मतलब है कि आप एक सामान्य भारतीय हैं। आप राष्ट्रवादी भी हैं और पाकिस्तानवादी भी। पाकिस्तानवादी उसे कहते हैं जो कम से कम एक बार पाकिस्तान को सबक सीखाने का सपना पाले हुए है। कुछ पाकिस्तानवादी ऐसे हैं जो एक से अधिक बार पाकिस्तान को सबक सीखाने का सपना देखते हैं। कपड़े की दुकान पर बैठे बैठे सीमा पर जाकर पाकिस्तान को ठोक आने का सपना देखते हैं। चाय की दुकानों पर तो लाहौर तक घुस कर मार आने के एक्सपर्ट तो कहीं भी मिल जाएंगे। पाकिस्तान को लेकर भारत के किसी भी प्रधानमंत्री को क्या करना चाहिए, यह बात किसी भी प्रधानमंत्री से ज़्यादा कोई भी आम भारतीय जानता है।
सेना को खुली छूट मिलनी चाहिए। यह वाक्य आप इनदिनों ख़ूब सुनते होंगे। यह किसी रणनीतिकार की बोली नहीं है बल्कि आम भारतीयों के मन की बात है। उन्हें लगता है कि सेना को सब मिला मगर खुली छूट नहीं मिली। हमारी सेना को खुली छूट मिल जाए तो वो अमरीका तक कब्ज़ा कर ले। दुनिया की किसी भी सेना को ऐसा विश्वास हासिल नहीं होगा। हमें लगता है कि पाकिस्तान इसलिए नहीं मानता क्योंकि हमारी सेना को खुली छूट नहीं मिली हुई है। इसलिए आजकल कोई भी घटना होती है, सरकार सबसे पहले कहलवा देती है कि खुली छूट मिली हुई है।
हम भारतीय भले ही पकौड़े की दुकान पर बैठे हुए हों, ठेला खींच रहे हों, हवाई जहाज़ उड़ा रहे हों या अस्पताल की लॉबी में बैठे हों, दिन में एक न एक बार सीमा पर ज़रूर जाते हैं। वहां पाकिस्तान को मिटा कर वापस अपनी दुकान में लौट आते हैं। चीन के साथ हम ऐसा सपना नहीं देखते क्योंकि चीन का सामान भारतीय सीमा के अंदर मिल जाता है जिसे जला कर या बहिष्कार हम खुश हो लते हैं कि चीन को सबक सीखा दिया। हम दीवाली में चीनी लड़ियों का बहिष्कार कर चीन को औकात पर ला चुके हैं। अब पाकिस्तान आतंकवादियों के अलावा कुछ और भेजता नहीं तो क्या करें।
Comments
comments