दिल दहला देने वाला मंजर – वह हिन्दू है , उसे प्यास लगी है , मेरा तो रोज़ा है

शेयर करें
  • 1
    Share

दसवीं मंजिल पर कमरे की खिड़की से अपनी बेटी को बाहर की दुनिया दिखा रहा था। अचानक एक नौजवान रस्सी से लटका हुआ खिड़की पर आ गया। पानी चाहिए। इतनी ऊंचाई पर निडर होकर वह उन दीवारों को रंग रहा था जिसके रंगीन होने का सुख शायद ही उसे मिले। मेरी बेटी तो बहुत खुश हो गई कि कोई दीवार से खिड़की पर लटक कर बात कर रहा है। डर नहीं लगता है, यह मेरा पहला सवाल था। दीवार पर रंग का एक कोट चढ़ाकर कहता है – नहीं। डर क्यों।

क्या नाम है। कामरान। – फिर कामरान से बात होने लगती है। बिहार के अररिया जिले का रहने वाला है। छह महीने पहले दिल्ली कमाने आया है। दो दिनों तक बैठकर देखता रहा कि कोई कैसे खुद को रस्सी से बांध कर लकड़ी की पटरी पर बैठकर इतनी ऊंचाई पर अकेला रंग रहा होता है। तीसरे दिन से कामरान खुद यह काम करने लगता है।

मैंने पूछा ” कोई प्रशिक्षण हुई है तुम्हारी। ‘” नहीं! बस देख कर सीख लिया। ”तो किसी ने कुछ नहीं बताया कि क्या सावधानी बरतनी चाहिए।” नहीं। ”!” तो तुम्हें डर नहीं लगता है नीचे देखने में। ” नहीं लगता।

इससे पहले कितनी मंजिल इमारत का रंग और चमक किया है तुमने; ।37 मंज़िल। मैं सोचने लगा कि जहां कामरान का बचपन बीता होगा वहाँ उस ने इतनी ऊँची इमारत कभी देखि न होगी, लेकिन दिल्ली आते ही तीसरे दिन वह ऊंचाई से खेलने लगता है। ” तो क्यों करते हो यह काम ”।

” इसमें मजदूरी अधिक मिलता है। जोखिम है न। ”” कितनी मिलती है। ” ” पांच-छह सौ रुपये एक दिन के ” ….. फिर अचानक ” पानी दीजिए न। ” मेरी रुचि कामरान से बात करने में थी। तीसरी बार उसने पानी मांगा। ” ओह, भूल गया। ” ” अब लाता हूँ।

गिलास लेकर आया तो कामरान ने अपने साथ रंग रहे एक और आदमी द्वारा गिलास बढ़ा दिया। जब ग्लास लौटा तो मैंने कहा ” मुझे लगा कि तुम्हें प्यास लगी है, मुझे तो पता ही नहीं चला कि खिड़की के बाहर कोई और भी लटका हुआ है। ”

” नहीं सर! वह हिंदू है। उसे प्यास लगी है। मेरा रोज़ा चल रहा है। ”

(नोट: – मज़हबी वैश्विक एकता हिन्दू मुस्लिम एकता और आपसी भाईचारे पर उभारने वाली भावनाओं से लबरेज इस लेखन को NDTV सीनियर एंकर रविश कुमार ने 6 जुलाई 2014 को अपने ब्लॉग ‘नई सड़क’ पर लिखा था जिसे 9 जुलाई 2014 को अशरफ अली बसतवी ने अपने ब्लॉग में पब्लिश किया था, रमजान करीम की प्रासंगिकता के मद्देनजर इस शिक्षाप्रद लेखन को फिर मुस्लिमवर्ल्ड प्रकाशित कर रहा है, उम्मीद है कि पाठकों को पसंद आये)

Comments

comments

  • TAGS
  • indian journalist ravish
  • muslim wall painter truth
  • ravish kumar articale
Facebook
Twitter
Google+
Pinterest
WhatsApp