इल्म हासिल करने के लिए चीन भी जाना पडे तो जाओ – मुहम्मद सल्लo

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साल गुजरते गये और मुसलमानों ने मस्जिदें, स्कूल और मदरसे स्थापित कर लिए। इन स्कूलो और मदरसों मे रूस और भारत जैसे देशों से भी लोग पढने जाते थे। ऐसा कहा जाता है कि 1790ई0 मे चीन में तकरीबन 30,000 इस्लामिक छात्र थे और इमाम बुखारी का जन्म स्थान ‘बुखारा’ जो उस समय चीन का हिस्सा था इस्लाम का मुख्य सतून(स्तम्भ) था।

मुसलमानों को बहुत गर्व महसूस होता है जब वे पैगम्बर-ए-इस्लाम की इस बात को दोहराते है कि ‘‘इल्म हासिल करने के लिए चीन भी जाना पडे तो जाओ’’ इससे इल्म हासिल करने की अहमियत का पता चलता है भले ही कितनी भी मुश्किलें क्यों न उठानी पडे। मुहम्मद साहब सल्ल. के जमाने में चीनी सभ्यता पूर्ण विकसित हालत में थी। चीन में इस्लाम की शुरूआत तीसरे खलीफा हज़रत उस्मान (रजि.) के दौर में हुई। बिजेन्टाइन, रोम और पर्शिया को जीतने के बाद हज़रत उस्मान ने मुहम्मद साहब सल्ल. की वफ़ात के 18 साल बाद यानि 21 हिज़री सन (650ई) में उनके मामू साढ इब्न अबी वका़स की कयादत में एक वफद चीन के बादशाह को इस्लाम की इबादत की दावत देने के लिए भेजा।

लेकिन अरब के सौदागर इससे पहले यानि हज़रत मुहम्मद सल्ल. की जिंदगी में ही इस्लाम का परिचय चीनियों से करा चुके थे। हालांकि ये संगठित प्रयास नही था। लेकिन ये उनके सफर का एक हिस्सा था जो रेशम मार्ग से वे किया करते थे।
हालांकि अरबों की तारीख में इसका उल्लेख कम ही मिलता है लेकिन चीन में इस घटना का उल्लेख है। वह ये है कि तांग वंश के राजा ने सबसे पहले इस्लाम के प्रति अपना प्रेम दर्शाने के लिए एक मस्जिद के निर्माण का आदेश दिया। कैंटन सिटी में स्थित शानदार मस्जिद आज भी यादगार मस्जिद के नाम से मौजूद है.

चौदह सदियों बाद भी मुसलमानों की सबसे पहली बस्ती भी इसी तटीय शहर में बस्ती थी उम्मैद और अब्बासी खलीफाओं को भेजे छः वफद चीन में गर्मजोशी से स्वीकार किये गये। मुसलमान शुरू में चीन में बस गये थे उन्होंने जल्दी ही इस देश की अर्थव्यवस्था पर अपना असर डालना शुरू कर दिया। उन्होंने सुंग वंश (960-1279 ई0) तक चीन के कारोबार पर अपना नियंत्रण कर लिया। यहां तक की जहाज रानी विभाग का महानिदेशक भी इस दौर में एक मुसलमान ही था। मिंग वंश (1368-1644) का शासन काल इस्लाम के लिए एक स्वर्ग युग की तरह है- जब मुसलमान धीरे-धीरे हान समाज में घुल मिल गये।

मुसलमानों के इस्लाम के प्रदर्शन के प्रति काफी जोश देखा जा सकता है और राष्‍ट्रीय स्तर पर कई समितियां एवं संगठनों का गठन किया गया है जो मुसलमानों के बीच अंतर्जातीय एकता स्थापित करने के सफल प्रयास करती रहती है। इस्लामी साहित्य कहीं भी देखा जा सकता है। चीनी भाषा में कुरआन के तर्जुमे मिलते है।

चीन की ज़ियान मस्जिद- ये चीन की मशहूर ज़ियान मस्जिद है जो 742 ईसवी में चीनी पगोडा की शक्ल की बनाई गई। दुनिया में ये अकेली ऐसी मस्जिद है जिसमें चीनी भाषा में अजा़न दी जाती है। ये अरबी व्यापारियों के यहां की चीनी लडकियों से शादी करने के बाद वजूद में आयी थी। चीन में इस वक्त लगभग 128 मिलियन मुसलमान रहते हैं जिनका धर्म इस्लाम है मगर संस्कृति चीनी है।

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