एक हिंदू बहन ने अपनाया इस्लाम, कोर्ट में ‘कलमा’ पढ़कर दी ईमान की दलील

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लड़की के परिजनों ने आरोप लगाया था कि उनकी बेटी अनूषी (जो अब मारिया है) का अपहरण करके उसकी मुस्लिम व्यक्ति से शादी कराई गई और जबरन उसका धर्म परिवर्तन कराया गया। इन्हीं आरोपों का खंडन करते हुए मारिया ने कोर्ट में कहा कि उसने अपनी मर्ज़ी से इस्लाम धर्म अपनाया है। जिसके बाद उसने कोर्ट में ही अपने ईमान की दलील में ‘कलमा’ और ‘दुरूद’ पढ़ा.

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पाकिस्तान की इस्लामाबाद हाई कोर्ट में एक हिंदू लड़की ने अपने परिजनों के आरोपों को ग़लत बताते हुए कहा कि उसने बिना किसी दबाव के अपनी इच्छा से इस्लाम धर्म कबूल किया है।

ग़ौरतलब है कि कोर्ट में मारिया और उसके पति बिलावल अली भुट्टो ने शादी के बाद मिल रही धमकियों के चलते सुरक्षा मुहय्या कराने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान जब कोर्ट ने मारिया से अपने माता-पिता से मिलने के लिए कहा तो पहले उसने इनकार कर दिया। लेकिन कोर्ट के निर्देश पर वह अपने परिजनों से मिली।

करीब 40 मिनट की मुलाकात के बाद कोर्ट में दोबारा सुनवाई शुरु की गई। तब मारिया ने पने बयान में कहा कि उसने अंतर्आत्मा की आवाज़ पर इस्लाम धर्म को अपनाया है। मारिया ने कहा कि इस्लाम दुनिया का सबसे बेहतरीन धर्म है, वह बचपन से इसके बारे में सोचा करती थीं।

इसके साथ ही मारिया ने यह भी सपष्ट किया कि उसने बिलावल से शादी करने के लिए इस्लाम को नहीं अपनाया बल्कि यह उसकी अपनी मर्ज़ी थी। जिसके बाद उसने कोर्ट में कलमा पढ़ते हुए अपील की कि उसे उसके पति के साथ रहने की इज़ाजत दी जाए।

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