वाह क्या बात है, दिल जीत लिया, 218 छात्रों में से 12 मुस्लिम छात्र-छात्राएं बने जज

शेयर करें
  • 6
    Shares

पिछले शुक्रवार को पीसीएसजे का रिजल्ट आया है जिसमें साढ़े पांच प्रतिशत मुस्लिम छात्रों ने कामियाबी हासिल की है। इस बार न्यायिक सेवा में 12 मुस्लिम छात्रों का चयन हुआ जो अब न्यायधीश बन गये हैं, इनमें से सात लडकियां हैं बाकी पांच लड़के हैं।

मुस्लिम छात्राओं में सबसे अच्छी रैंक रूमाना अहमद की है। रूमाना एएमयू से ग्रेजूएट हैं जिन्होंने इस परीक्षा में 15 वीं रैंक हासिल की है। संभल की रहने वाली नगमा खान ने 29वां स्थान हासिल किया है, वहीं संभल की ही समीना जमीन 34 वीं रैंक हासिल करने में कामियाब रहीं। जबकि हापुड़ की रहने वाली जैबा रऊफ ने 35 वां, लखनऊ की किसा ज़हीर 74वें, एटा की अर्शी नूर 117वें और मुज़फ्फ़रनगर की अंजुम सैफ़ी 159वें स्थान पर हैं.

1.नगमा खान

न्यायधीश बनने वाली इन सभी लड़कियों की अलग दास्तान है. लेकिन ख़ास बात ये है कि इन सभी छात्राओं की कामयाबी में उनके भाइयों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. संभल की रहने वाली नग़मा खान की 29वीं रैंक आई है. नग़मा की प्रतिभा का डंका पूरे संभल में मचता है, वे ऑस्ट्रेलिया, स्विटजरलैंड और जापान तक में भाषण दे चुकी हैं. उन्होंने जमिया मिल्लिया इस्लामिया से एलएलएम किया है, नगमा के पिता पिता मुबीन खान सम्भल में इंजिन बोरिंग मैकेनिक हैं. बेटी की कामियाबी पर वे कहते हैं कि नग़मा ने बहुत से बंद रास्ते खोल दिए हैं.

2.समीना जमील

सम्भल की ही रहने वाली समीना जमील की 34वीं रैंक आई है. समीना के साथ सकारात्मक बात यह है कि उन्हें शुरू से ही पढ़ाई का माहौल मिला और बेहतरीन सपोर्ट भी. समीना के पिता जमील अहमद सचिवालय में कर्मचारी रहे हैं, और इनके भाई मोहसिन जमील यूपी पुलिस में डिप्टी एसपी हैं.

3.जेबा रऊफ

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हापुड़ जनपद की रहने वाली ज़ेबा रऊफ़ ने 35वीं रैंक हासिल की है. जेबा मुस्लिम राजपूत समाज से आती हैं, इस समाज में लड़कियों की शिक्षा की दर बेहद कम है. जेबा के पिता रऊफ़ अहमद को बेटी को जज बनाने की जिद थी. साथ ही ज़ेबा के भाई समीउल्लाह खान ने अपनी बहन की तैयारी में मदद की. जेबा का भाई समीउल्लाह दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया का छात्र है।

4.अर्शी नूर

पश्चिम उत्तर प्रदेश के जिला बुलंदशहर में यूपी पुलिस में बतौर एडीपीओ तैनात अर्शी नूर भी 117 वीं रैंक हासिल की है. अर्शी की ख़ास ख़ास बात यह है कि इन्होंने अलग से कोई तैयारी नहीं की. अर्शी नौकरी के दौरान ही समय निकालकर पढ़ाई करती थीं. वे एटा की रहने वाली हैं और उनके पिता नुरुल हसन जिला न्यायालय के प्रशासनिक सहायक रहे हैं. सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहने वाली अअर्शी नूर फेसबुक पर ‘आवर ड्रीम पीसीएस जे’ नाम से एक पेज़ भी चलाती थी. अर्शी नूर का जज बनने का सपन साकार हो गया है।

5.अंजुम सैफी

महज़ चार साल की उम्र में अपने पिता को खो देने वाली अंजुम सैफी ने पीसीएसजे का रिजल्ट आने के बाद सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं हैं। अंजुम के पिता राशिद अहमद हार्डवेयर की दुकान चलाते थे जिनकी 25 साल पहले बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। अंजुम के पिता की हत्या का कारण सिर्फ इतना था कि उन्होंने बदमाशों को हॉकर से पैसे छीनते देख लिया था उन्होंने बदमाशों को रोकने की कोशिश की लेकिन बदमाशों ने उन्हें गोली मार दी।

जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि जज बनने वाली लड़कियों के भाईयों ने उनके जज बनने में पूरा सहयोग किया है। ऐसा ही अंजुम के साथ भी हुआ, अंजुम के भाई ने अपनी शादी सिर्फ इसलिये टाले रखी क्योंकि वे अपनी बहन को जज बनाकर अपने मरहूम पिता को खिराज ए अकीदत (श्रद्धांजली) देना चाहते थे। अंजुम के पिता का सपना था कि उनकी बेटी जज बने। अंजुम ने घर पर रहकर ही पढ़ाई की और अपने मरहूम पिता का सपना साकार किया।

जज बनने वाले मुस्लिम लड़के

यूपी पीसीएसजे में पांच मुस्लिम छात्रों ने भी बाजी मारी है। जिसमें सर्जील खान ने 19 वीं रैंक हासिल की है। आरिफ सिद्दीकी ने 36 वीं रैंक हासिल की है, नवेद मुजफ्फर ने 46 वीं रैंक हासिल की है, खान जीशान मसूद ने 64 वीं रैंक हासिल की, जबकि वकील ने 218 वीं रैंक हासिल की है।

Comments

comments