धर्म के नाम पर जहां देश में एक ओर सियासत चरम पर वहीं सतीश ने अजान की प्रतियोगिता में अव्वल आकर मिसाल कायम कर दी है. यही नहीं उन लोगों को एक बड़ा संदेश दिया है जो धर्म के नाम पर रोटियां सेंक रहे हैं.
हमारे देश में अभी अज़ान को लेकर बहुत वाद-विवाद चल रहा है। सोनू निगम के विवादित घटिया बयान से पहले भी अज़ान के खिलाफ कई बार आवाजें उठ चुकी है। हालाँकि, सोनू निगम ने यह साफ़ किया है कि, वह अज़ान के खिलाफ नहीं है बल्कि, लाउडस्पीकर के खिलाफ है। लेकिन सोनू निगम से भी यह सवाल है कि, उनकी रोजी-रोटी भी तो लाउडस्पीकर से ही तो चल रही है.
आपको बता दें कि एक सामाजिक संगठन ने सतीश के गांव में अजान की प्रतियोगिता कराई थी. हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि इस परीक्षा में 300 मुस्लिम बच्चों ने हिस्सा लिया. जिन्हें हराकर उसने सभी का दिल जीत लिया.
आज पूरे गांव का आलम यह है कि जब सतीश ने अजान पढ़नी शुरू की तो वहां मौजूद सभी लोग मंत्रमुग्ध रह गए. बेशक वह हिंदू समाज का है लेकिन इस बात को पूरे गांव ने भुलाकर उसके हुनर की दिल खोलकर प्रशंसा की.
सतीश का इस प्रतियोगिता जीतने पर सतीश के गाँव वालों को भी इस बच्चे पर गर्व है। सतीश गोडके की साफ़ और मधुर आवाज ने सबका दिल जीत लिया, जिसके कारण वह पहले स्थान पर रहे। दरअसल सतीश जहाँ रहते हैं उनके घर के पास ही एक मस्जिद है और सतीश अज़ान रोज सुनता था.
वह अज़ान से अच्छी तरह वाकिफ था, इसलिए उसने अज़ान प्रतियोगिता में भाग लिया और अच्छी तरह अभ्यास के जरिये से इस अज़ान की प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त किया.
एक तरफ तो हमारे देश में कई लोग धर्म के नाम पर ज़हर फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, वही दूसरी ओर ऐसे भी लोग है जो आपस में हमेशा मिलजुलकर रहने की भावना रखते हैं। सतीश ने वही उदाहरण पेश किया है अज़ान प्रतियोगिता में भाग लेकर.
सतीश की इस कामयाबी को देखकर उसके पिता अशोक गोडके भी इस बात से खुश है कि, उसने तीन सौ मुस्लिम बच्चों को हराकर अज़ान प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त किया है। इसके अलावा सतीश के गाँव के मुस्लिम लोग भी सतीश की इस कामयाबी को लेकर बहुत खुश नजर आ रहे हैं।
Comments
comments