अब क़यामत की यह एक और पेशनगोई पूरी होने के कगार पर पहुंची, नबी ने फ़रमाया कि

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“इल्म का खात्मा हो जाएगा” 1) हजरत अनस रजि अल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया — बेशक कयामत की निशानीयो मे से ये भी निशानी है, इल्म का उठ जाना, जहालत का फैल जाना। सही बुखारी 80 

2) एक और रिवायत मे है कि कयामत के दीन के करीब मे इल्म उठा लिया जाएगा, जहालत उतारी जाएगी, और हर्ज बहुत ज्यादा हो जाएगा, और हर्ज से मुराद कत्ल है। [तिर्मिजी 2200]

3) हजरत जियाद बिन लबीद रजि अल्लाहु अन्हु कहते है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सामने किसी बात का जिक्र हुआ तो आपने इरशाद फरमाया, उस वक्त क्या होगा जब इल्म उठ जाएगा?

मेने कहा ऐ अल्लाह के रसूल ! इल्म कैसे उठेगा, जबकि हम कुरान पढते है, अपनी औलाद को कुरान पढाते है, और वो आगे अपनी औलाद को कुरान पढायेगे, और ये सिलसिला ता कयामत तक चलता रहेगा।

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, जियाद मे तो तुम्हे मदीना के समझदार लोगो मे शुमार करता था,
क्या ये हकीकत नही के यहुद व नसारा तौरात, और इंजिल पढते है लेकिन उसमे मे जो कुछ भी लिखा है उसमे से किसी चीज पर भी अमल नही करते (यानी इल्म उठ जाने का मतलब ये है कि दीनी इल्म पर अमल नही किया जाएगा)
[तबरानी कबीर 5291]

यहा इल्म से मुराद दीनी इल्म है, कयामत की ये निशानी भी जाहिर हो चुकी और इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल नही, क्योंकि हर शख्स अपने आसपास का जायजा ले सकता है के उसके घर, मोहल्ले, कस्बे, शहर और मुल्क मे कितने अफराद दीनी तालीम हासिल करने वाले है.

ये बात भी वाजेह रहे के दीनी इल्म का तसलसुल अगरचे आज भी कायम है लेकिन अमल की कमी हर जगह देखने को मिलती है, और आखिरी हदीस के मुताबिक इल्म के खात्मे का यही मतलब है कि अमल खत्म हो जाएगा।

4) फरमान ए नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम है, अलामत ए कयामत मे ये चीज भी शामिल है कि असागर (अहले बिदअत) से इल्म हासिल किया जाएगा। [सही जाम:अ अल सगीर 2207]

इस हदीस मे बिदअती से इल्म हासिल किया जाना कयामत की एक निशानी बताई गई है। हजरत इब्ने मसऊद रजि अल्लाहु अन्हु ने फरमाया के लोग जब तक असहाब ए मुहम्मद और उनमे से अकाबिरीन से इल्म हासिल करते रहेगे, सालेह और किताब व सुन्नत पर कायम रहेगे|

और जब वो अपने असागर (अहले बिदअत) के पास आएगे तो हलाक हो जाएगे, और बाज अहले इल्म कहते है कि इज्जत चाहते हो तो अपने अकाबिरीन को सरदार बनाओ, और अहले बिदअत को सरदार मत बनाओ वरना रुसवा हो जाएगे। [ फैज अल कदीर 676/2]

कुछ अहले इल्म ने असागर की पहचान बताई है कि असागर से मुराद वो लोग है जो कम इल्म है और कम इल्म होने की वजह से महज अपनी राय से ही लोगो को रहनुमाई करते फिरते है जिसके नतीजे मे खुराफात व बिदअत फैलती है।

अगर गौर से देखा जाए तो कयामत की ये अलामत भी पुरी हो चुकी है, लोगो ने हकीकी उलमा को छोडकर नाम निहाद बुजुर्गो, जाली पीरो और कम इल्म खुतबा और वाज करने वालो अपना सरदार बना रखा है, जरूरत इस बात है कि हम इस वक्त कुरान व सुन्नत को मजबूती से थामे और अहले हक उलमा की तरफ रूजू हो जाए। अल्लाह तआला तमाम फितनो से उम्मत की हिफाजत करे आमीन

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