VIDEO: पैगंबर हज़रत मुहम्मद की आखिरी वसीयत, हर मुसलमान और शादीशुदा लोगों को ज़रूर पढ़ना चाहिए

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दुनिया के हरेक मुसलमान के दिल में आखिरी पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के लिए जैसी जगह है, वैसी किसी के लिए नहीं है. खुदा के बाद मुसलमानों ने नबी की बात मानी और उनके दिखाए-बताये रास्ते पर चलकर ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं.

हज़रत मुहम्मद का जन्म सन 570 ईसवी में मक्का शहर में हुआ था. उन्होंने दुनिया में इस्लाम फैलाया. वह इस्लाम के पैग़म्बरमाने जाते हैं जिन को अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रईल द्वारा क़ुरआन का सन्देश’ दिया था. आज हम आपको आखिरी नबी की वसीयत के बारे में बताने जा रहे हैं.

बता दें कि नबी जब इस दुनिया से रुक्सत होने लगे तो आखिर में उन्होंने जो बात फरमाई. उसका ज़िक्र करते हुए आयशा आयशा रज़ी अल्लाह फरमाती हैं कि मैंने कान लगाकर सुना कि नबी फरमा रहे थे कि तौहीद पर जमे रहना.

एक हदीस में नबी से फ़रमाया कि लोगों अपने मातहतों के साथ अच्छा सलूक करना. मैं क़यामत के दिन उनका वकील बन जाऊंगा. अगर तुमने उनके से ज्यादती की, ज़ुल्म किया और सख्ती की और उनका नाजायज़ फायदा उठाया तो मैं क़यामत के दिन उनका वकील बन जाऊंगा और तुमसे उनका हक दिला कर रहूँगा.

अब सोचिये कि जब अल्लाह के वकील उनके वकील बन जाएंगे तो हमें अल्लाह के नबी की शाफाहात कैसी नसीब होगी. इसलिए आज वक़्त है अपनी गलती को सुधरने का और अपनी गलती के लिए माफ़ी मांगने का. एक नसीहत है कि अगर बीवी समझती है कि मैंने शौहर के साथ ज्यादती की है तो आज वह भी अपने शौहर से माफ़ी मांग ले. और अगर शौहर को ऐसा लगता है तो वह बीवी से माफ़ी मांग ले.

 

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