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जब दुनिया के हर कोने मे इल्म पहुँचने के साधन उपलब्ध होने का वक्त आया तो इस बात की संभावाना खत्म हो गई कि..लोग अल्लाह की किताब मे गडबडियां करे गलत तर्जुमा करे और पकड़े न जाए|
क्योंकि दुनिया के और देश की दुसरी जगह के लोग तहरीफ( गलत अर्थ )करे और दुसरों की नज़रों मे न आए |तो अब किसी नये ग्रंथ की जरुरत नही रही तो नबूवत का सिलसिला भी हजरत मुहम्मद पर खत्म हो गया|
रसूल-अल्लाह ﷺ ने फरमाया कोई बंदा उस वक़्त तक मोमीन नही हो सकता जब तक वो चार चीज़ो पर ईमान ना ले आए अल्लाह वाहदहु ला शरीक पर, मेरे (यानी मुहम्मद ﷺ के) अल्लाह के रसूल होने पर ,मौत के बाद ज़िंदा होने पर और तक़दीर पर सुनन इब्न माज़ा, जिल्द 1, 81-सही
रसूल-अल्लाह ﷺ ने फरमाया कोई बंदा तब तक मोमीन नही हो सकता जब तक उसके वालिद और उसकी औलाद और तमाम लोगों से ज़्यादा उसके दिल में मेरी मुहब्बत ना हो जाए सही बुखारी, जिल्द 1, 15 रसूल-अल्लाह ﷺ ने फरमाया कोई बंदा तब तक मोमीन नही हो सकता जब तक अपने भाई या पड़ोसी के लिए वही पसंद ना करने जो अपने लिए करता है सही मुस्लिम, जिल्द 1, 171
रसूल-अल्लाह ﷺ ने फरमाया कोई बंदा उस वक़्त तक मोमीन नही हो सकता जब तक अच्छी और बुरी तक़दीर पर ईमान ना लाए यहाँ तक की वो ये यकीन ना कर ले की जो चीज़ उसको मिलने वाली थी वो उसको ही मिली किसी और के पास नही जा सकती थी और जो चीज़ उसको नही मिलने वाली थी वो किसी भी सूरत में उसको नही मिल सकती थी जामिया तिरमिज़ी , जिल्द 2, हदीस 15-हसन
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