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नई दिल्ली: भारत सरकार ने डिसेबिलिटी राइट ग्रुप के भारी विरोध के चलते हज दिशानिर्देशों की नीति में बदलाव करने का फैसला लिया है। मामले में केंद्रीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि सरकार ने उन लोगों पर से प्रतिबंध हटाने का फैसला लिया है जो विक्लांगता के चलते हज जाने के लिए आवेदन नहीं कर पाते थे। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इन दिशानिर्देश का पालन पिछले 60 सालों या उससे भी अधिक समय से किया जा रहा है। संभव है कि सऊदी अरब के कुछ प्रतिबंध थे। हालांकि इस साल से विक्लांग लोगों को हज पर जाने की अनुमति दी जाएगी।
इससे पहले राज्यों की हज कमेटी के दिशानिर्देशों में कहा गया था कि जिस व्यक्ति के पैर कटे हो, अपंग, विकलांग, पागल या शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार हो, वह हज जाने के लिए आवेदन नहीं कर सकता। हालांकि अब मंत्रालय की वेबसाइड से इस खंड को बाहर कर दिया गया और लिखा गया है कि ‘हज पात्रता का यह खंड अभी समीक्षाधीन है।’
गौरतलब है कि पूर्व में केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए बगैर मेहरम (पुरुष अभिभावक) महिलाओं को हज पर जाने की अनुमति दी थी। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 2017 के अंतिम संस्करण में रविवार को कहा ‘मैंने देखा है कि अगर कोई मुस्लिम महिला हज यात्रा के लिए जाना चाहती है तो वह बिना ‘मेहरम’ (पुरुष संरक्षक) के नहीं जा सकती। और जब मैंने इस बारे में पता किया तो मुझे पता चला कि वह हम लोग ही हैं, जिन्होंने महिलाओं के अकेले हज पर जाने पर रोक लगा रखी है। इस नियम का कई इस्लामिक देशों में अनुपालन नहीं किया जाता।
पीएम के इस फैसले पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि विदेशी सरकार जो काम पहले ही कर चुकी है उसका श्रेय प्रधानमंत्री को नहीं लेना चाहिए। हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने एएनआई से कहा था कि सऊदी हज अथॉरिटी ने 45 साल से अधिक किसी भी देश की मुस्लिम महिला को बगैर मेहरम हज पर जाने की अनुमति दी है। उन्होंने आगे कहा कि जो काम विदेशी सरकार ने किया उसका श्रेय पीएम मोदी को नहीं लेना चाहिए।
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