हज़रत मूसा और जिब्रील अलैहिस्सलाम का क़िस्सा…. हज़रत मूसा ने अल्लाह से कहा मुझे….

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हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने तुर पर अल्लाह तआला से बाते की तो कहने लगे: परवरदिगार! मुझे अपना अदल व इंसाफ दिखा। अल्लाह तआला ने फ़र्माया: फला चश्मे पर जा औऱ उसके पीछे छुप जा फिर मेरी क़ुदरत और इंसाफ का तमाशा देख।

मूसा अलैहिस्सलाम गए और टीले पर जो चश्मे के सामने था छुपकर बैठ गए चश्मे पर एक सवार आया घोड़े से उतरा हाथ मुंह धोया। पानी पीया और क़मर से मियानी खोली जिसमे हज़ार दीनार थे। नमाज़ पढ़कर चल दिया और मियान वही भूल गया।

फिर एक छोटा सा बच्चा चश्मे के किनारे आया उसने पानी पिया और मियानी उठाकर चलता बना। उसके बाद एक अंधा आया उसने वुज़ू कीया और नमाज़ पढ़ने लगा। शहसवार को अपनी मियानी याद आई वह फौरन चश्मे की तरफ लौटा। अंधे को देखा तो उसके सर हो गया के में यहां अपनी मियान भूल गया था और जिसमे हज़ार दीनार थे।

तेरे सिवा यहां कोई नही आया। अंधा बोला: आप जानते है में अंधा हूँ में मियानी को कैसे देख पाता। शहसवार ये बात सुनकर आपे से बाहीर हो गया। तलवार उठा ली और उसका क़त्ल कर दिया। मियानी ढूंढ तो ना पाया लिहाजा अपनी राह ली।

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से सबर ना हो सका कहने लगें: परवरदिगार! तू आदिल है मुझे बता ये क्या हुआ ? जिब्रील अलैहिस्सलाम आए और उन्होंने कहा: ऐ मूसा! वह बच्चा जो मियानी ले गया अपना हक़ ले गया।

बात ये है के उस बच्चे का बाप इस शहसवार का मुलाज़िम था वह मर गया तो उसने तनख्वा ना दी। बच्चा अपने बाप की मजदूरी के मुताबिक रक़म ले गया। रहा अंधा सो उसने अंधा होने से पहले शहसवार के बाप का क़त्ल किया था लिहाजा हक़दार को उसका हक़ पहुंच गया।

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